नोट बैन: टैक्स पेयर्ज में डर पैदा करके फेल न हो जाए सरकार का मकसद

Edited By ,Updated: 14 Nov, 2016 11:38 AM

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देश में काले धन के खात्मे के लिए नोट बैन का मोदी सरकार का फैसला सराहनीय कदम है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए लेकिन इस फैसले के बाद सरकार की तरफ से जिस तरीके से बिना तालमेल के बयानबाजी हो रही है

नई दिल्लीः देश में काले धन के खात्मे के लिए नोट बैन का मोदी सरकार का फैसला सराहनीय कदम है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए लेकिन इस फैसले के बाद सरकार की तरफ से जिस तरीके से बिना तालमेल के बयानबाजी हो रही है, वह इस योजना की सफलता को निश्चित तौर पर प्रभावित करेगी। नरेंद्र मोदी ने रविवार को भी कहा कि सरकार मुख्यधारा में आने वाले ऐसे लोगों का स्वागत करेगी जिन्होंने पहले से सरकार को पैसे का हिसाब नहीं दिया है या अपने पास मौजूद पैसे को छुपा कर रखा है। 

जेतली का बयान शंका पैदा करने वाला 
प्रधानमंत्री के इस बयान से पहले वित्त मंत्री अरुण जेतली का यह बयान शंका पैदा करता है जिसमें वह पकड़े जाने वाले पैसे पर 30 प्रतिशत टैक्स के अलावा 200 प्रतिशत जुर्माने की बात कर रहे हैं। ऐसे बयान से वे टैक्स पेयर्ज अपने पैसे को ऐसे स्थानों पर खर्च करने के लिए उत्साहित हो रहे हैं जहां उन्हें शायद नहीं करना चाहिए। असल में टैक्स पेयर्ज द्वारा गोल्ड की खरीद या अन्य स्थानों पर पैसे खर्च करने से योजना का मकसद कहीं न कहीं असफल होता है। 

इन्कम टैक्स कानून 1961 की धारा 68 और 69 में भी स्पष्ट है कि यदि इन्कम टैक्स आफिसर को आपकी असैसमैंट करते समय किसी ऐसी इन्कम का पता चलता है जिसका टैक्स पेयर्ज सोर्स नहीं बता पाता तो उसको धारा 115 बी.बी.(ई.) के मुताबिक अधिकतम इन्कम टैक्स यानी 30 प्रतिशत टैक्स लगता है, अब यदि इन्कम टैक्स आफिसर सर्वे करे और इन्कम से अधिक एसेट्स पाए गए तो उस पर भी 30 प्रतिशत टैक्स लगेगा लेकिन मौजूदा स्थिति में यदि आम आदमी खुद जाकर इन्कम टैक्स विभाग के पास अपनी इन्कम की घोषणा कर रहा है तो उस पर 30 प्रतिशत टैक्स व दोगुना जुर्माने की तलवार लटक रही है, यही तलवार टैक्स पेयर्ज के पैर खींच रही है और लोग अभी तक अपनी इंकम के खुलासे को लेकर भयभीत हैं। 

बड़े जुर्माने का बोझ थोपने से डर रहे हैं टैक्स पेयर्ज
लोगों को लग रहा है कि धन का खुलासा किए जाने के बाद सरकार पिछली किसी तिथि से कानून को लागू करके उन पर बड़े जुर्माने का बोझ न थोप दे। हालांकि सरकार ने इन्कम टैक्स कानून में पिछले वर्ष धारा 270(ए) जोड़ी है जिसके मुताबिक यदि कोई इन्कम मिस या अंडर रिपोर्टेड पाई जाती है तो इन्कम टैक्स आफिसर को उस स्थिति में फाइन लगाने का अधिकार है लेकिन यदि इस वर्ष की इन्कम में कोई व्यक्ति खुद ही सामने आकर इन्कम दिखाता है तो उसमें मिस या अंडर रिपोर्टेड का सवाल ही पैदा नहीं होता। 

अब सवाल उठता है कि यदि सरकार द्वारा जुलाई से सितम्बर माह के तहत लाई गई इन्कम डैक्लारेशन स्कीम के तहत लोगों ने खुद आकर 45 प्रतिशत टैक्स अदा करके 65,000 करोड़ रुपए जमा करवाए हैं तो फिर अब ताजा स्थिति में सरकार के पास आने वाले लोगों को 30 प्रतिशत टैक्स लेकर छुटकारा क्यों दिया जाए लेकिन 45 प्रतिशत टैक्स देने वालों को सरकार ने टैक्स पेयर्ज की सूचना सॢवस टैक्स व एक्साइज या फिर अन्य विभागों से एक साथ सांझा न करने के अलावा पिछले वर्षों की संपत्ति पर दंड न देने का भी प्रावधान था और बेनामी ट्रांजैक्शन पर भी छूट दी गई थी लेकिन मौजूदा स्थिति में इन बातों का ध्यान टैक्स पेयर्ज को खुद रखना पड़ेगा, लिहाजा मुझे लगता है कि सरकार को आम टैक्स पेयर्ज को डराने की बजाय सीधे तौर पर आने वाले लोगों का मुख्य धारा में स्वागत करना चाहिए। यह देश के लिए भी अच्छा है और टैक्स पेयर्ज को भी इससे परेशानी नहीं होगी और इससे सरकार को टैक्स भी मिलेगा और पैसा भी सर्कुलेशन में आएगा।

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