Edited By rajesh kumar,Updated: 08 Sep, 2020 01:37 PM
टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और पावर ग्रिड (Power Grid) की संपत्ति को बेचने की प्रक्रिया तेज हो गई है। सूत्रों के हवाले से मिली खबरों की मानें तो NITI आयोग के CEO की अगुवाई में बुधवार को सचिवों के समूह की बैठक होगी।
नई दिल्ली: टेलीफोन निगम लिमिटेड (MTNL) भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) और पावर ग्रिड (Power Grid) की संपत्ति को बेचने की प्रक्रिया तेज हो गई है। सूत्रों के हवाले से मिली खबरों की मानें तो NITI आयोग के CEO की अगुवाई में बुधवार को सचिवों के समूह की बैठक होगी। बता दें कि MTNL और BSNL की कुल 38,000 करोड़ की संपत्ति बेची जानी है। इस संपत्ति में कंपनी की खाली जमीन और बिल्डिंग शामिल है।
बुधवार को होगी बैठक
सूत्रों की मानें तो, NITI आयोग के CEO की अगुवाई में होने वाली इस बैठक में सभी कंपनियों से ऐसट मॉनेटाइजेशन प्लान के बारे में पूछा जाएगा। इसके अलावा BSNL और MTNL पर सबसे ज्यादा फोकस रहेगा। इन दोनों कंपनियों के टावर को बेचने और किराए पर देने का प्लान है। पावर ग्रिड की ट्रांसमिशन लाइन का मॉनिटाइजेशन किया जाएगा। इसके दो चरणों में 10-10 हजार करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है।
कुल 38,000 करोड़ रुपए की संपत्ति बेची जाएगी
GAIL की पाइपलाइन का मॉनेटाइजेशन किया जाएगा। इसी तरह से रेलवे, शिपिंग और हाइवे के प्रोजेक्ट को मॉनेटाइजेशन किया जाएगा। वहीं, अगर कंपनियों में हिस्सेदारी बेचने की योजना सफल नहीं रही तो ऐसे मे सरकार ने एसेट मॉनेटाइजेशन का प्लान बनाया है। MTNL और BSNL की कुल 38,000 करोड़ रुपए की संपत्ति बेची जानी है। कंपनियों की इस संपत्ति में उनकी खाली पड़ी जमीन और बिल्डिंग शामिल है। बिक्री से मिलने वाले पैसों का इस्तेमाल कंपनी की माली हालत सुधारने में होगा।
घाटे में चल रही दोनों कंपनियां
साल 2018-19 में बीएसएनएल को करीब 14,202 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। 2017-18 में 7,993 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था। 2016-17 में 4,793 करोड़ और 2015-16 में 4,859 रुपए का घाटा हुआ था। कंपनी 2010 से ही नुकसान में चल रही है। वहीं पिछले 10 सालों में से 9 साल में MTNL ने घाटा दर्ज किया है।
साल 2019 में डिक्लेयर हुआ था रिवाइवल प्लान
घाटे में चल रही दोनों कंपनियों के रिवाइवल के लिए सरकार ने इसी साल अक्टूबर में 70,000 करोड़ के रिवाइवल प्लान को मंजूरी दी थी। इसमें इन दोनों कंपनियों को विलय, संपत्तियों की बिक्री और कर्मचारियों को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) देने की घोषणा थी। केंद्र सरकार का इरादा दोनों कंपनियों के विलय से बाद बनने वाली ईकाई को दो साल के भीतर मुनाफे वाले ईकाई बनाना है।