Edited By Punjab Kesari,Updated: 31 Jan, 2018 02:01 PM
रियल्टी बाजार में पिछले कई साल से जारी सुस्ती 2017 में भी जारी रही। रियल्टी क्षेत्र को साल के दौरान तीन झटके नोटबंदी, रेरा और जी.एस.टी. से जूझना पड़ा है, जिससे फ्लैटों की बिक्री प्रभावित हुई और साथ ही नई परियोजनाओं की पेशकश ठहरी रही। हालांकि,...
नई दिल्लीः रियल्टी बाजार में पिछले कई साल से जारी सुस्ती 2017 में भी जारी रही। रियल्टी क्षेत्र को साल के दौरान तीन झटके नोटबंदी, रेरा और जी.एस.टी. से जूझना पड़ा है, जिससे फ्लैटों की बिक्री प्रभावित हुई और साथ ही नई परियोजनाओं की पेशकश ठहरी रही। हालांकि, रियल्टी क्षेत्र की कंपनियां 2018 के बेहतर रहने की उम्मीद कर रही हैं। उन्हें उम्मीद है कि सस्ते मकानों और अन्य रियायतों से रियल्टी क्षेत्र आगे बढ़ सकेगा। पेश होने वाले आम बजट से रेंटल हाउसिंग के मॉडल, बाउचर-समान किराये पर होगा फोकस होगा ।
इकोनॉमिक सर्वे में कहा गया है कि शहरी क्षेत्रों में जहां 2 करोड़ घरों की जरूरत है, वहीं लगभग 1 करोड़ 10 लाख बने-बनाए घर खाली पड़े हैं। यदि इन घर मालिकों को प्रमोट किया जाए तो वे इन घरों को किराये पर दे सकते हैं, जिससे घरों की कमी दूर हो सकती है। अब तक आए सर्वे बताते हैं कि हर शहर में 30 से 40 फीसदी आबादी फ्लोटिंग होती है, जो यहां से वहां शिफ्ट होती रहती है और घर खरीदना नहीं चाहती, बल्कि किराये पर ही रहती है। इसलिए रेंटल हाउसिंग पॉलिसी की जरूरत महसूस की गई।
सोशल रेंटल हाउसिंग का मॉडल
रिटायर्ड अर्बन सेक्रेट्री सुधीर कृष्णा ने कहा कि सरकार रेंटल हाउसिंग के अलग-अलग मॉडल पर काम कर रही है। एक मॉडल के मुताबिक, सोशल रेंटल हाउसिंग को प्रमोट कर सकती है। इस मॉडल के तहत सरकार माइग्रेंट लेबर या शहरी गरीबों के लिए मास हाउसिंग प्रोजेक्ट तैयार करेगी। इसके तहत डोरमेटरी, हॉस्टल या पेइंग गेस्ट जैसी सुविधा दी जा सकती है।
किराया होगा समान
मकान मालिकों द्वारा घर किराए पर न देने के पीछे कई कारण हैं। जिसमें कानूनी अड़चनें भी एक है। अब तक लागू कानून के मुताबिक किरायेदार तय समय के बाद घर खाली करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। सरकार इस कानून में भी बदलाव ला सकती है। साथ ही, यह भी व्यवस्था की जाएगी कि एक एरिया में किराये की दर समान हो, ताकि किरायेदार और मकान मालिक के बीच झगड़े न हों।