बजट 2022: बैंक FD का लॉकइन समय 3 साल करने की मांग, IBA ने वित्त मंत्रालय को भेजा प्रस्ताव

Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Jan, 2022 10:31 AM

budget 2022 demand to increase the lock in time of bank fd to 3 years

बजट से पहले इंडियन बैंक एसोसिएशन (IBA) ने बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए वित्त मंत्रालय के पास प्रस्ताव भेजा है। IBA ने वित्त मंत्रालय से गुहार लगाई है कि टैक्स फ्री फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की अवधि को 5 साल की बजाय 3 साल किया...

बिजनेस डेस्कः बजट से पहले इंडियन बैंक एसोसिएशन (IBA) ने बैंक फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) को ज्यादा आकर्षक बनाने के लिए वित्त मंत्रालय के पास प्रस्ताव भेजा है। IBA ने वित्त मंत्रालय से गुहार लगाई है कि टैक्स फ्री फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) की अवधि को 5 साल की बजाय 3 साल किया जाए, यदि सरकार की तरफ से ये मांग स्वीकार कर ली गई तो FD का लॉक-इन पीरियड 3 साल का रह जाएगा। 

IBA ने कहा है कि बाजार में इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) जैसी आकर्षक स्कीमें हैं। इनमें 3 साल का लॉक-इन पीरियड होता है। जबकि फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में लॉक-इन टाइम 5 साल का होता है। यदि इस पीरियड को घटाकर 3 साल किया जाए तो जमाकर्ताओं के लिए यह आकर्षक होगा और बैंकों में फंड बढ़ेगा। लोग बैंकों के FD में ज्यादा पैसा जमा करेंगे। बैंकों ने डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा देने के लिए सरकार से विशेष छूट की मांग की है।

क्या है ELSS और क्या है इसका लाभ
म्यूचुअल फंड की इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS) एक तरह की टैक्स सेविंग स्कीम है। इसमें जमा किए गए 1.5 लाख रुपए तक टैक्स नहीं लगता है। यह फायदा इनकम टैक्स के सेक्शन 80C के अंतर्गत मिलता है। चूंकि म्यूचुअल फंड से जुड़ी इस स्कीम का रिटर्न बैंक में रखने से अच्छा है और लॉक-इन पीरियड भी कम है तो लोग बैंकों की बजाय इस स्कीम की तरफ ज्यादा रुझान दिखाते हैं। IBA ने कहा है कि इसी तरह टैक्स बचाने वाले बैंक FD में भी तीन साल का लॉक-इन समय किया जाना चाहिए।

कुछ और मांगें भी
बैंकों ने यह भी कहा है कि समाज के कमजोर तबके की भलाई हेतु कई अभियान चलाए जाते हैं। सरकार अपनी कई स्कीमों को बैंकों के जरिए चलाती है। डिजिटल बैंकिंग को बढ़ावा दिया जाता है। बैंकों के प्रयास से बिजनेस में आसानी आ रही है, डिजिटल बैंकिंग की सेवा से लोगों की सुविधाएं बढ़ी हैं। इसलिए सरकार को बैंकों के खर्चों पर कुछ स्पेशल टैक्स रिबेट या डिडक्शन देना चाहिए। टैक्स से जुड़ी शिकायतों को जल्द निपटाने के लिए बैंकों ने एक बेहतर सिस्टम बनाने की मांग की है। संगठन ने कहा है कि बैंकों और सरकार के बीच अपील पर जल्द सुनवाई करने और उसका निपटारा किए जाने की जरूरत है।


 

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