Edited By Supreet Kaur,Updated: 21 Sep, 2019 12:21 PM
नकदी की तंगी के चलते रियल एस्टेट मार्केट बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। बिल्डर भी अब डिमांड बढ़ाने को लेकर घरों के आकार को घटाने के लिए मजबूर हो गए हैं। पिछले पांच वर्षों में अपार्टमेंट का औसत आकार 27 फीसदी तक कम कर दिया है। 2014 में ...
नई दिल्लीः नकदी की तंगी के चलते रियल एस्टेट मार्केट बुरी तरह से प्रभावित हो रहा है। बिल्डर भी अब डिमांड बढ़ाने को लेकर घरों के आकार को घटाने के लिए मजबूर हो गए हैं। पिछले पांच वर्षों में अपार्टमेंट का औसत आकार 27 फीसदी तक कम कर दिया है। 2014 में अपार्टमेंट साइज करीब 1,400 वर्ग फुट होता था, जो 2019 में घटकर 1,020 वर्ग फुट पर आ गया।
एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स के डेटा के मुताबिक, देश के सबसे महंगे प्रॉपर्टी मार्केट मुंबई में अपार्टमेंट साइज सबसे ज्यादा 45 फीसदी तक कम घटा। वहीं, पुणे 38 फीसदी तक की कमी के साथ दूसरे नंबर पर रहा। यह भी हैरानी की बात है कि इस दौरान आवासीय बाजार में सबसे बुरे दौर से गुजर रहे एनसीआर (नैशनल कैपिटल रीजन) में अपार्टमेंट का साइज महज 6 फीसदी घटकर 1,390 वर्ग फुट पर रहा। यह बेंगलुरु से थोड़ा आगे रहा, जहां 2019 में फ्लैट साइज घटकर 1,300 वर्ग फुट तक आ गया।
डेटा के अनुसार मेट्रो शहरों में अपार्टमेंट साइज कम होने के महत्वपूर्ण कारणों में किफायती मकानों की डिमांड सबसे ऊपर है। फ्लैट खरीदार किफायती आवास के लिए सरकार की क्रेडिट सब्सिडी का फायदा उठाने की संभावनाएं भी तलाश रहे हैं। इसमें आवासीय मकान की 45 लाख रुपए से कम होने की शर्त होती है। साथ ही, ओवरऑल लोडिंग सहित कार्पेट एरिया 60 वर्ग मीटर या 850 वर्ग फुट बिल्ट-अप एरिया से अधिक नहीं होना चाहिए।'