बिल्डरों ने कैश को दिखाया लोन, अफसर परेशान

Edited By Supreet Kaur,Updated: 18 Sep, 2018 10:13 AM

builders showed wrong loans

बिल्डरों की कैश डील यानी होम बायर्स से मिलने वाले कैश, जमीन खरीदने के लिए नकदी के इस्तेमाल और बेनामी स्रोत से कंस्ट्रक्शन हेतु लिए गए कैश को ‘लोन’ के तौर पर दिखाने पर टैक्स को लेकर अलग-अलग राय सामने आ रही है। कई मामलों में बिल्डर कैश को ‘कर्ज’ बताकर...

मुम्बईः बिल्डरों की कैश डील यानी होम बायर्स से मिलने वाले कैश, जमीन खरीदने के लिए नकदी के इस्तेमाल और बेनामी स्रोत से कंस्ट्रक्शन हेतु लिए गए कैश को ‘लोन’ के तौर पर दिखाने पर टैक्स को लेकर अलग-अलग राय सामने आ रही है। कई मामलों में बिल्डर कैश को ‘कर्ज’ बताकर टैक्स और पैनल्टी से बचने की कोशिश कर रहे हैं। वे यह भी नहीं बता रहे हैं कि यह ‘कर्ज’ उन्हें कहां से मिला है। यह देख कर अफसर परेशान हैं।

सिर्फ महाराष्ट्र में 10,000 करोड़ के कैश ‘लोन’ पर इंकम टैक्स सैटलमैंट कमीशन (आई.टी.एस.सी.) के फैसले का इंतजार किया जा रहा है। टैक्स डिपार्टमैंट के बड़े अधिकारियों ने बताया कि पूरे देश में 50,000 करोड़ के कैश ‘लोन’ के ऐसे मामले सामने आए हैं।

एक अधिकारी ने बताया कि आई.टी.एस.सी. की अलग-अलग बैंचों ने ऐसे मामलों में अलग-अलग राय दी है। हाल ही के महीनों में मुम्बई की एक बैंच ने कहा कि बिल्डर को कैश ‘लोन’ देने वाले ने पुष्टि नहीं की है, इसलिए इसे कर्ज नहीं माना जा सकता इसलिए बैंच ने विवादित रकम पर पैनल्टी लगाने का आदेश दिया। दूसरे मामले में मुम्बई की एक अन्य बैंच ने बिल्डर के कैश इनफ्लो को कर्ज माना। उसने कहा कि इस मामले में लैंडर से पुष्टि की जरूरत नहीं है और सिर्फ उसका नाम और पैन काफी है। बिल्डर ऐसे लोन वर्षों से दिखाते आ रहे हैं और उनके पास मजबूत लॉबिंग पावर है। कैश लोन के
मामले पर एक स्पैशल बैंच भी बनाई गई थी।

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