बैंकों पर पड़ सकता है बिजली क्षेत्र के 38 अरब डॉलर के नए डूबे कर्ज का बोझ

Edited By Punjab Kesari,Updated: 05 Apr, 2018 10:01 AM

burden of new immersed debt of 38 billion in electricity sector

बैंकिंग क्षेत्र पहले ही डूबे कर्ज के बोझ से दबा हुआ है। अब एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें बिजली क्षेत्र की कंपनियों में अटका 38 अरब डॉलर का कर्ज और जुड़ने का खतरा है। बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफाएमएल) की रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक को...

मुंबईः बैंकिंग क्षेत्र पहले ही डूबे कर्ज के बोझ से दबा हुआ है। अब एक रिपोर्ट में कहा गया है कि इसमें बिजली क्षेत्र की कंपनियों में अटका 38 अरब डॉलर का कर्ज और जुड़ने का खतरा है। बैंक आफ अमेरिका मेरिल लिंच (बोफाएमएल) की रिपोर्ट में कहा गया है कि बैंक को द्वारा इस क्षेत्र को दिए गए कुल 178 अरब डॉलर के कर्ज में से 53 अरब डॉलर पहले से ही संकट में है।

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘‘बिजली क्षेत्र के कुल 178 अरब डॉलर (11,700 अरब रुपए) के कर्ज में से 53 अरब डॉलर (3,500 अरब रुपए) पहले से दबाव में है। मुख्य रूप से उत्पादन क्षेत्र का कर्ज दबाव में है। इसमें से करीब 38 अरब डॉलर (2,500 अरब रुपए) का कर्ज ऐसा है जिसे डूबे कर्ज के रूप में बट्टे खाते में डालने की संभावना बनती है।’’ यह रिपोर्ट इस तथ्य पर आधारित है कि निजी क्षेत्र की कोयला आधारित 71 गीगावाट की परियोजनाएं विभिन्न राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरणों (एनसीएलटी) में दिवाला प्रक्रिया का सामना कर रही हैं। इनका संभावित निपटान जून, 2019 से होने की संभावना है। ऐसे कर्ज में से 75 प्रतिशत को बट्टे खाते में डाला जा सकता है।

बोफाएमएल के शोध विश्लेषकों अमीष शाह और श्रीहर्ष सिंह ने कहा कि इस 178 अरब डॉलर के कर्ज में से वितरण कंपनियों पर 65 अरब डॉलर, उत्पादन कंपनियों पर 77 अरब डॉलर और पारेषण कंपनियों पर 36 अरब डॉलर के ऋण का बोझ है।      

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