Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Aug, 2019 04:47 PM
ऑटो इंडस्ट्री इस समय दो दशक के सबसे बुरे स्लोडाउन से गुजर रही है। इस स्लोडाउन का असर न सिर्फ ऑटो कंपनियों और मैन्युफैक्चरर्स को भुगतना पड़ रहा है, बल्कि इन कंपनियों के सप्लायर्स पर भी इस मंदी का असर पड़ रहा है।
नई दिल्लीः ऑटो इंडस्ट्री इस समय दो दशक के सबसे बुरे स्लोडाउन से गुजर रही है। इस स्लोडाउन का असर न सिर्फ ऑटो कंपनियों और मैन्युफैक्चरर्स को भुगतना पड़ रहा है, बल्कि इन कंपनियों के सप्लायर्स पर भी इस मंदी का असर पड़ रहा है। मैन्युफैक्चरर्स के साथ सप्लायर्स को भी अपने प्लांट बंद करने पड़ रहे हैं। आमतौर पर आगामी फेस्टिव सीजन के चलते अगस्त के महीने में ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरिंग प्लांट में काम बढ़ जाता है लेकिन इस साल ऐसा नहीं है। मैन्युफैक्चरर्स और सप्लायर्स गिरती डिमांड को देखते हुए प्रोडक्शन को रोके हुए हैं।
इस साल ऑटो सेक्टर में आई मंदी पिछले दो दशकों में सबसे बुरी है। यह मंदी तकरीबन एक साल पहले शुरू हुई थी और इंडस्ट्री के लोगों को कोई अंदाजा नहीं है कि यह मंदी कब तक चलेगी। अब तक ऑटो सेक्टर में कई हजार लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। SIAM का डाटा बताता है कि पिछले साल व्हीकल्स की सेल 18.7 फीसदी गिरकर 18,25,148 यूनिट्स पर आ गई।