कभी कोचिंग में पढ़ाकर खर्च चलाते थे Byju के रवींद्रन, अब बने भारत के नए अरबपति

Edited By Supreet Kaur,Updated: 30 Jul, 2019 10:40 AM

byju ravindran now becomes india new billionaire

शिक्षकों के लिए नए रोल मॉडल बने लर्निंग एप बायजू के 37 वर्षीय फाऊंडर ने नई इबारत लिख दी है। अध्यापन के क्षेत्र में अपनी सेवाएं देने वाले शिक्षकों के लिए यह शख्स एक रोल मॉडल बन सकता है, कि अगर किसी कार्य को कुछ हटकर किया जाए तो निश्चित ही उसमें...

लुधियानाः शिक्षकों के लिए नए रोल मॉडल बने लर्निंग एप बायजू के 37 वर्षीय फाऊंडर ने नई इबारत लिख दी है। अध्यापन के क्षेत्र में अपनी सेवाएं देने वाले शिक्षकों के लिए यह शख्स एक रोल मॉडल बन सकता है, कि अगर किसी कार्य को कुछ हटकर किया जाए तो निश्चित ही उसमें कामयाबी के शिखर छूने का अवसर मिलता है। इस बात की ताजा मिसाल है दक्षिण भारत के एक समुद्र तटवर्ती गांव में जन्मे रविंद्रन जिन्होंने मात्र 8 वर्ष के अल्प कार्यकाल में ही एक क्लास टीचर से 37 वर्ष की उम्र में भारत के नए अरबपति बनने का सफर तय कर लिया। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि कोचिंग क्लासेज की शुरूआत भी इन्होंने 2 लाख रुपए से की थी। जी हां हम बात कर रहे हैं बायजू रविंद्रन की।
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वही बायजू रविंद्रन जिन्होंने स्टूडैंट्स को ऑनलाइन स्टडी से जोड़ने के लिए वर्ष 2015 में बायजूस द लर्निंग एप लांच किया। इस एप ने मानो बायजू की दुनिया ही बदलकर रख दी। जानकारी के मुताबिक ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ी उनकी कंपनी की वैल्यू आज 5.7 अरब डॉलर हो गई है। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक 2011 में शुरू की गई उनकी कंपनी थिंक एंड लर्न ने इसी महीने 15 करोड़ डालर की फंडिंग जुटाई है। मौजूदा समय में इस एप के 3.5 करोड़ यूजर और 24 लाख पेड सब्सक्राइबर हैं जो कि वार्षिक 12 हजार रुपए फीस देते हैं।

कुछ हटकर करने के जज्बे ने पहुंचाया इस मुकाम तक
बायजू को शिक्षा के क्षेत्र में कुछ हटकर काम करने के जज्बे ने आज इस मुकाम तक पहुंचाया है। यही वजह है कि अपने खास एजुकेशन एप के जरिए दिन-ब-दिन नई ऊंचाइयां छूते जा रहे हैं। रविंद्रन ने एक समय कहा था कि वह भारतीय शिक्षा में ऐसा काम करना चाहते हैं, जैसा डिज्नी ने मनोरंजन के क्षेत्र में किया है। उन्होंने अपने लर्निंग एप में डिजनी के सिंबा और अन्ना करैक्टर को शामिल किया ताकि एप से जुड़कर बच्चे सीखना शुरू करें तो सिंबा उन्हें आकर्षित करेगा।
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माता-पिता थे अध्यापक, स्कूल में नहीं लगा बायजू का मन
रविंद्रन बायजू के माता-पिता स्कूल अध्यापक थे लेकिन रविंद्रन का मन स्कूल में नहीं लगता था और वह फुटबाल खेलने चले जाया करते थे। लेकिन घर आकर पढ़ाई करने के उनके जुनून ने उन्हें एक दिन इंजीनियर बना दिया।

स्टेडियम में एक साथ अनेक स्टूडैंट्स को देते थे कोचिंग 
बचपन से ही स्टूडैंट्स के लिए कुछ अलग करने के उनके शौक ने उनके कदम अध्यापन की दुनिया में बढ़ाए तो स्टूडैंट्स की संख्या बढऩे से उन्होंने स्टेडियम में एक साथ अनेक छात्रों को पढ़ाना शुरू कर दिया। इसी ने उन्हें एक नामी अध्यापक बना दिया। बाद में उन्होंने सोचा कि क्यों न एक ही जगह रहकर सभी छात्रों तक पहुंचा जाए। उन्होंने 2009 में कैट (सी.ए.टी.) के लिए ऑनलाइन वीडियो बैस्ड लर्निंग प्रोग्राम शुरू किया। इसके बाद उन्होंने ऑनलाइन कंटैंट को नि:शुल्क रखा और कुछ की एडवांस लेवल के लिए फीस भी रखी।  

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