अब बैंक खाते और सिम के लिए आधार जरूरी नहीं, कानून में संशोधन को कैबिनेट की मंजूरी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Dec, 2018 01:01 AM

cabinet approval for amendment in the law

सरकार ने मोबाइल नंबर तथा बैंक खातों को जैविक पहचान वाले आधार कार्ड से स्वैच्छिक रूप से जोडऩे को कानूनी जामा पहनाने की पहल की। इसके तहत आधार से संबंधित दो कानूनों में संशोधन के लिए संसद में विधेयक लाने के प्रस्तावों को सोमवार मंजूरी दी गयी। सूत्रों...

बिजनेस डेस्कः सरकार ने मोबाइल नंबर तथा बैंक खातों को जैविक पहचान वाले आधार कार्ड से स्वैच्छिक रूप से जोडऩे को कानूनी जामा पहनाने की पहल की। इसके तहत आधार से संबंधित दो कानूनों में संशोधन के लिए संसद में विधेयक लाने के प्रस्तावों को सोमवार मंजूरी दी गयी। सूत्रों ने यहां इसकी जानकारी दी

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सरकार ने मोबाइल नंबर तथा बैंक खातों को जैविक पहचान वाले आधार कार्ड से स्वैच्छिक रूप से जोडऩे को कानूनी जामा पहनाने की पहल की। इसके तहत आधार से संबंधित दो कानूनों में संशोधन के लिए संसद में विधेयक लाने के प्रस्तावों को सोमवार मंजूरी दी गयी। सूत्रों ने यहां इसकी जानकारी दी।
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एक सूत्र ने कहा, ‘‘अपने उपभोक्ता को जानें (केवाईसी) के दस्तावेज के रूप में आधार का इस्तेमाल करने वाली निजी कंपनियों को आधार से संबंधित सूचनाओं की सुरक्षा और गोपनीयता सुनिश्चित करनी होगी।’’ सूत्रों ने कहा कि दोनों अधिनियमों को संशोधित किया जाएगा ताकि नया मोबाइल नंबर लेने या बैंक खाता खोलने के लिये ग्राहक स्वेच्छा से 12 अंकों वाली आधार संख्या को साझा कर सकें। उच्चतम न्यायालय ने आधार अधिनियम की धारा 57 को निरस्त कर दिया था। यह धारा सिम तथा बैंक खाता के साथ आधार को जोडऩा अनिवार्य बनाती थी।

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इस समस्या से निजात पाने के लिये टेलीग्राफ अधिनियम को संशोधित किया जा रहा है। इससे आधार के जरिये सिमकार्ड जारी करने को वैधानिक समर्थन मिलेगा। इसी तरह मनी लांडरिंग रोकथाम अधिनियम में संशोधन से बैंक खातों से आधार को जोडऩे का मार्ग प्रशस्त होगा। इनके अलावा सरकार ने आधार की सूचनाओं में सेंध लगाने की कोशिश पर 10 साल तक की जेल का प्रस्ताव दिया है। अभी इसके लिये तीन साल की जेल का प्रावधान है।     सूत्रों ने कहा कि परिजनों द्वारा आधार पंजीयन कराये गये बच्चों के पास 18 साल के हो जाने के बाद आधार के डेटाबेस से अपनी सूचनाएं हटवाने की सुविधा का भी प्रस्ताव है।

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