50 करोड़ डॉलर छोड़ने को तैयार केयर्न एनर्जी, सरकार के सामने रखी यह शर्त

Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 Apr, 2021 05:16 PM

cairn energy ready to give up 500 million this condition laid

ब्रिटेन की ऊर्जा कंपनी केयर्न एनर्जी पीएलसी ने कहा है कि यदि भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता फैसले का सम्मान करते हुए पिछली तारीख से कराधान की वजह से उसे हुए नुकसान का मूल्य लौटाने पर सहमत होती है, तो वह 50 करोड़ डॉलर की राशि छोड़ने को तैयार है।

बिजनेस डेस्कः ब्रिटेन की ऊर्जा कंपनी केयर्न एनर्जी पीएलसी ने कहा है कि यदि भारत सरकार अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता फैसले का सम्मान करते हुए पिछली तारीख से कराधान की वजह से उसे हुए नुकसान का मूल्य लौटाने पर सहमत होती है, तो वह 50 करोड़ डॉलर की राशि छोड़ने को तैयार है। सूत्रों ने बताया कि केयर्न एनर्जी ने इस 50 करोड़ डॉलर की राशि का निवेश भारत सरकार द्वारा चयनित किसी तेल एवं गैस या अक्षय ऊर्जा परियोजना में निवेश करने की पेशकश की है।

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स्कॉटलैंड की कंपनी ने 1994 में भारत के तेल एवं गैस क्षेत्र में निवेश किया था। एक दशक बाद उसने राजस्थान में बड़े तेल भंडार की खोज की थी। 2006-07 में कंपनी ने अपनी भारतीय परिसंपत्तियों को बीएसई (BSE) में सूचीबद्ध कराया था। उसके 5 साल बाद सरकार ने पिछली तारीख के कर कानून का इस्तेमाल करते हुए केयर्न एनर्जी को पुनर्गठन को लेकर 10,247 करोड़ रुपए के साथ ब्याज और जुर्माने की मांग का नोटिस भेजा था।

क्या है मामला
इसके एवज में सरकार ने भारतीय इकाई में केयर्न के शेष शेयर बेच दिए थे और साथ ही लाभांश जब्त करते हुए कर रिफंड को रोक लिया था। केयर्न ने सरकार के इस कदम को हेग में पंचाट न्यायाधिकरण में चुनौती दी थी। पंचाट ने दिसंबर, 2020 में केयर्न के पक्ष में 1.2 अरब डॉलर (8,800 करोड़ रुपए से अधिक), साथ ही लागत और ब्याज का फैसला दिया था। यह पूरी राशि 12,600 करोड़ रुपए बैठती है।

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मामले की जानकारी रखने वाले तीन सूत्रों ने बताया कि कंपनी की वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बातचीत चल रही है। कंपनी ने इस बातचीत में भारत सरकार द्वारा 1.2 अरब डॉलर की मूल राशि लौटाने पर 50 करोड़ डॉलर की लागत और ब्याज छोड़ने की पेशकश की है। कंपनी ने कहा है कि वह इस राशि का भारत सरकार द्वारा चयनित किसी तेल एवं गैस या अक्षय ऊर्जा परियोजना में निवेश करने को तैयार है।

कंपनी ने ठुकराई सरकार की पेशकश 
भारत सरकार ने हेग में तीन मध्यस्थतों में एक की नियुक्ति की थी और 2015 से वह पंचाट प्रक्रिया में पूरी तरह शामिल रही है। सरकार चाहती है कि केयर्न इस मामले को अब बंद हो चुकी विवाद समाधान योजना ‘विवाद से विश्वास’ के जरिये सुलझा जाए। विवाद से विश्वास योजना 31 मार्च को बंद हुई है। इसमें कर मांग का 50 प्रतिशत अदा करने पर कर के मामले को समाप्त कर दिया जाता है। हालांकि, कंपनी ने सरकार की इस पेशकश को ठुकरा दिया है।

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