Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Dec, 2017 09:52 AM
टैक्स चोरों के लिए अब पता बदलकर टैक्स अथॉरिटीज से छिपना काफी कठिन होने वाला है क्योंकि ऐसे टैक्स चोरों पर नकेल कसने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने नियम में बदलाव करते हुए टैक्स डिफाल्टर्स को ढूंढने के लिए बैंकिंग, इंश्योरैंस और...
नई दिल्लीः टैक्स चोरों के लिए अब पता बदलकर टैक्स अथॉरिटीज से छिपना काफी कठिन होने वाला है क्योंकि ऐसे टैक्स चोरों पर नकेल कसने के लिए सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने नियम में बदलाव करते हुए टैक्स डिफाल्टर्स को ढूंढने के लिए बैंकिंग, इंश्योरैंस और म्यूनिसीपल कॉर्पोरेशन डाटाबेस का इस्तेमाल करने का अधिकार इंकम टैक्स (आई.टी.) डिपार्टमैंट को दे दिया है। इन डाटाबेस से पता लेकर अधिकारी छिपे और लापता टैक्स चोरों को ढूंढकर उनसे बकाया वसूल पाएंगे।
टैक्स अथॉरिटीज अब तक डिफाल्टर्स द्वारा परमानैंट अकाऊंट नंबर (पी.ए.एन.) में दिए गए पते पर केवल नोटिस भेज सकती थी। इस डाटाबेस से आई.टी. अथॉरिटीज को मदद नहीं मिल पा रही थी क्योंकि कुछ टैक्सपेयर्स वास्तव में अपना पता बदल लेते हैं और इसकी जानकारी अपडेट नहीं कराते या फिर कुछ लोग टैक्स चोरी के मकसद से ऐसा करते हैं।
लोकल अथॉरिटी के डाटाबेस से भी लग सकता है पता
एक वरिष्ठ टैक्स अधिकारी ने कहा कि वित्त मंत्रालय से मंजूरी के बाद इंकम टैक्स नियम में बदलाव को हाल ही में नोटीफाई किया गया है। इससे टैक्स अधिकारियों को डिफाल्टर्स का पता बैंकिंग कम्पनी, को-ऑप्रेटिव बैंक, इंडिया पोस्ट, इंश्योरैंस कम्पनी, एग्रीकल्चर इंकम रिटर्न और फाइनैंशियल ट्रांजैक्शन स्टेटमैंट से प्राप्त करने का अधिकार मिल गया है। अधिकारी ने बताया कि असैसी (व्यक्ति या कम्पनी) का पता गवर्नमैंट रिकॉर्ड या लोकल अथॉरिटी के डाटाबेस से भी प्राप्त किया जा सकता है।