सस्ती होंगी कैंसर की दवाइयां!

Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Mar, 2018 04:29 AM

cancer drugs will be affordable

अगले 3 से 5 साल में भारतीय बाजार में दिल की बीमारियों, मधुमेह और कैंसर के इलाज में काम आने वाली कई दवाइयों के पेटैंट की अवधि खत्म हो रही है। इसके बाद घरेलू दवा कम्पनियां इन दवाओं का जैनेरिक संस्करण पेश कर सकती हैं जिससे इनकी कीमतों में भारी कमी आने...

अहमदाबाद: अगले 3 से 5 साल में भारतीय बाजार में दिल की बीमारियों, मधुमेह और कैंसर के इलाज में काम आने वाली कई दवाइयों के पेटैंट की अवधि खत्म हो रही है। इसके बाद घरेलू दवा कम्पनियां इन दवाओं का जैनेरिक संस्करण पेश कर सकती हैं जिससे इनकी कीमतों में भारी कमी आने की उम्मीद है। 

दवा उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि कैंसर की दवाइयों की कीमत में सबसे ज्यादा कमी आ सकती है। यह इस बात पर निर्भर करेगा कि पेटैंट की अवधि खत्म होने के बाद कितनी कम्पनियों की दवाइयों को मंजूरी मिलती है। कुल मिलाकर इनमें 20 से 25 प्रतिशत की कमी आने की संभावना है जिससे मरीजों को फायदा होगा। अग्रणी दवा कंपनी के एक अधिकारी ने बताया कि उनकी कम्पनी ने विल्डाग्लिप्टिन का जैनेरिक संस्करण तैयार कर लिया है। 

केवल 5 प्रतिशत को ही मिला पेटैंट
भारत में इस्तेमाल होने वाली दवाइयों में से केवल 5 प्रतिशत को ही पेटैंट मिला हुआ है इसलिए इनका बाजार बहुत बड़ा नहीं है। अलबत्ता एपिक्सेबैन जैसे पेटैंट वाले मॉलीक्यूल की सालाना चक्रवृद्धि पिछले 5 साल में 381.9 प्रतिशत रही है। इसका पेटैंट फाइजर के पास है और वह एलिक्विस ब्रांड से इसे बेचती है। ऑल इंडिया ऑर्गेनाइजेशन ऑफ  कैमिस्ट्स एंड ड्रगिस्ट्स (ए.आई.ओ.सी.डी.) की बाजार शोध शाखा अवॉक्स फार्माट्रैक के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी, 2018 तक इस मॉलीक्यूल का सालाना कारोबार 62 करोड़ रुपए था। 

160 से अधिक ब्रांड मधुमेह दवा बाजार पर करना चाहते हैं कब्जा 
मधुमेह के इलाज में काम आने वाले दवा समूह ग्लिप्टिन्स की बिक्री 40 प्रतिशत की रफ्तार से हो रही है। इस श्रेणी में बहुत ज्यादा प्रतिस्पद्र्धा है क्योंकि 160 से अधिक ब्रांड देश के 100 अरब रुपए से अधिक के मधुमेह दवा बाजार पर कब्जा करना चाहते हैं। ग्लिप्टिन्स समूह की 4 अहम दवाओं सिटाग्लिप्टिन, लिनाग्लिप्टिन, विल्डाग्लिप्टिन और सेक्साग्लिप्टिन के पेटैंट की अवधि अगले 5 साल में खत्म होने की उम्मीद है। देश में इनका कुल बाजार 7.3 अरब रुपए का है। अभी करीब 20 दवा कम्पनियों को इन्हें बनाने का लाइसैंस दिया गया है। 

ग्लिप्टिन्स का बाजार 25 अरब रुपए का
देश में ग्लिप्टिन्स का बाजार 25 अरब रुपए का है और बड़ी दवा कम्पनियों ने इनकी बिक्री के लिए अंतर्राष्ट्रीय कम्पनियों के साथ हाथ मिलाया है। जनवरी में सिप्ला ने विल्डाग्लिप्टिन की बिक्री के लिए स्विट्जरलैंड की कम्पनी नोवाॢतस से हाथ मिलाया। इसी तरह अल्केम ने एवोग्लिप्टिन के लिए दक्षिण कोरिया की कम्पनी डोंग ए के साथ करार किया। विल्डाग्लिप्टिन के लिए नोवाॢतस पहले ही यू.एस.वी. फार्मा, एमक्योर और ऐबट के साथ समझौता कर चुकी है। 

Related Story

India

397/4

50.0

New Zealand

327/10

48.5

India win by 70 runs

RR 7.94
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!