Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Dec, 2021 02:43 PM
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य जयंत आर वर्मा ने रविवार को उम्मीद जताई कि अब से कुछ तिमाहियों के बाद पुरानी अर्थव्यवस्था में भी पूंजीगत निवेश बढ़ेगा और अगले वित्त वर्ष में भी ठीक-ठाक वृद्धि बनी रहेगी। जाने-माने...
नई दिल्लीः भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के सदस्य जयंत आर वर्मा ने रविवार को उम्मीद जताई कि अब से कुछ तिमाहियों के बाद पुरानी अर्थव्यवस्था में भी पूंजीगत निवेश बढ़ेगा और अगले वित्त वर्ष में भी ठीक-ठाक वृद्धि बनी रहेगी। जाने-माने अर्थशास्त्री वर्मा ने कहा कि मुद्रास्फीति चिंता का विषय है लेकिन अभी मुद्रास्फीति के स्तर से कहीं अधिक चिंता की बात इसकी निरंतरता है।
वर्मा ने कहा, ‘‘भारतीय अर्थव्यवस्था और इसकी वृद्धि के अनुमानों को लेकर मैं काफी आशावादी हूं। ऐसी उम्मीद है कि अगले वर्ष 2022-23 में भी अच्छी वृद्धि देखने को मिलेगी।'' उन्होंने कहा कि आर्थिक गतिविधियां महामारी-पूर्व के स्तर से भी आगे निकल चुकी हैं और बाकी के वित्त वर्ष में और सुधार होगा। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे आशा है कि अगली कुछ तिमाहियों में पूंजीगत निवेश बढ़ने लगेगा और यह पुरानी अर्थव्यवस्था में भी बढ़ेगा।''
कोरोना वायरस के नए स्वरूप ओमीक्रॉन से अर्थव्यवस्था के समक्ष मौजूद खतरे के बारे में उन्होंने कहा, ‘‘वायरस के कुछ और स्वरूप भी सामने आ सकते हैं लेकिन टीकाकरण का दायरा बढ़ने के साथ आर्थिक वृद्धि के लिए जोखिम भी कम हो जाएगा।'' वर्मा ने कहा कि चिंता की बात यह है कि मुद्रास्फीति कम होकर चार फीसदी के लक्ष्य तक नहीं आ रही बल्कि इसके काफी लंबे समय तक पांच फीसदी तक बने रहने का खतरा भी है।