Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 Mar, 2019 04:12 PM
कमजोर मॉनसून के चलते कम उपज के कारण भारत का कुल अरंडी उत्पादन 20 प्रतिशत की गिरावट के साथ 11.3 लाख टन रहने का अनुमान है। एग्रीवॉच द्वारा 2018-19 के लिए कराए गए एक सर्वेक्षण में यह बात कही गई। अरंडी के फसल रकबे
अहमदाबादः कमजोर मॉनसून के चलते कम उपज के कारण भारत का कुल अरंडी उत्पादन 20 प्रतिशत की गिरावट के साथ 11.3 लाख टन रहने का अनुमान है। एग्रीवॉच द्वारा 2018-19 के लिए कराए गए एक सर्वेक्षण में यह बात कही गई। अरंडी के फसल रकबे में भी गिरावट आई और 2018-19 के खरीफ सत्र के लिए पूर्व के सरकारी अनुमान, 8,21,600 हेक्टेयर रकबे की जगह करीब 7 प्रतिशत घटकर 7,69,570 हेक्टेयर रह गया।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एसईए) के सहयोग से कराए जा रहे 17वें ग्लोबल कैस्टर सम्मेलन में जारी हुए एग्रीवॉच के सर्वे में पाया गया कि अरंडी की फसल में 1,520 किलो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से करीब 12.6 प्रतिशत की गिरावट आई है। एग्रीवॉच का कहना है कि कमजोर मॉनसून, फसल की कम वृद्धि और सिंचाई के लिए पानी की कम उपलब्धता फसल के रकबे में कमी का मुख्य कारण रहा। फसल संबंधी अनुमानों पर कहा गया, 'पिछले साल फसल रकबे में कमी के मुख्य कारण कमजोर मॉनसून, फसल चक्र में बदलाव और फसल पर कीटों के हमले रहे।' एसईए के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी के अनुसार वाणिज्य मंत्रालय ने अरंडी के तेल और दूसरे उत्पादों के निर्यात प्रोत्साहन के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए कहा है जो वर्तमान में सालाना 8,000 करोड़ रुपए से अधिक के स्तर पर है।
चतुर्वेदी कहते हैं, 'हालांकि भारत वैश्विक आपूर्ति में काफी आगे है लेकिन अगर आपूर्ति में कमी के चलते उपभोक्ताओं ने वैकल्पिक उत्पादों का रुख किया तो कीमतों में बढ़ोतरी नहीं हो सकेगी और हम बाजार को हमेशा के लिए खो देंगे। अरंडी का उत्पादन बढ़ाना ही इसका उपाय है जिससे भारत अंतरराष्ट्रीय बाजार में उचित दाम पर बाधा रहित आपूर्ति सुनिश्चित कर सके।' गुजरात, राजस्थान, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना समेत दूसरे अरंडी उत्पादक क्षेत्रों में कराए गए सर्वे के अनुसार 11.3 लाख टन के उत्पादन का अनुमान है जो 2018-19 के लिए केंद्र के पहले उन्नत अनुमान (15.2 लाख टन) से काफी कम है।
अरंडी के सबसे बड़ा उत्पाद राज्य गुजरात में बुआई रकबे में 9.68 प्रतिशत की गिरावट आई है और यह पिछले साल के 5,91,000 हेक्टेयर से घटकर इस साल 5,33,800 हेक्टेयर रह गया। हालांकि एग्रीवॉच के सर्वे के अनुसार अरंडी का बुआई रकबा 6 प्रतिशत घटकर 5,54,160 हेक्टेयर पर आ गया। एग्रीवॉच का कहना है कि इसके चलते गुजरात का अरंडी उत्पादन पिछले साल के 12 लाख टन से करीब 22 प्रतिशत गिरकर 9.34 लाख टन रह गया। राष्ट्रीय स्तर पर कुल फसल में 12.6 प्रतिशत की गिरावट आई है। गुजरात में अरंडी उत्पादन पिछले साल के 2,029 किलो प्रति हेक्टेयर से करीब 13.7 प्रतिशत गिरकर 1,751 किलो प्रति हेक्टेयर रह गया है।