Edited By Supreet Kaur,Updated: 19 May, 2018 05:13 PM
सार्वजनिक क्षेत्र के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का मार्च में समाप्त चौथी तिमाही में घाटा तीन गुना बढ़कर 2,114 करोड़ रुपए हो गया। इसकी अहम वजह फंसे कर्ज के लिए राशि का प्रावधान बढ़ाया जाना है। वित्त वर्ष 2016-17 की जनवरी-मार्च तिमाही में बैंक का घाटा 592...
नई दिल्लीः सार्वजनिक क्षेत्र के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का मार्च में समाप्त चौथी तिमाही में घाटा तीन गुना बढ़कर 2,114 करोड़ रुपए हो गया। इसकी अहम वजह फंसे कर्ज के लिए राशि का प्रावधान बढ़ाया जाना है। वित्त वर्ष 2016-17 की जनवरी-मार्च तिमाही में बैंक का घाटा 592 करोड़ रुपए था। समीक्षावधि में बैंक की कुल आय 6,301.50 करोड़ रुपए रही जो इससे पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में 7,121.05 करोड़ रुपए थी।
बैंक ने एक बयान में जानकारी दी कि पूरे वित्त वर्ष में उसका घाटा 5,105 करोड़ रुपए रहा है जो इससे पिछले वित्त वर्ष 2016-17 में 2,439 करोड़ रुपए था। पूरे वर्ष में बैंक की कुल आय भी घटी है और यह 26,659 करोड़ रुपए रही है। 2016-17 में उसकी कुल आय 27,537 करोड़ रुपए थी। इस दौरान बैंक को ब्याज से 6,517 करोड़ रुपए की शुद्ध आय हुई जो 2016-17 में 6,574 करोड़ रुपए थी।
आलोच्यवधि में बैंक की सकल गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) उसके सकल ऋण का 21.48 फीसदी रही जो 2016-17 में 17.81 फीसदी थीं। बैंक का शुद्ध एनपीए उसके शुद्ध ऋण का 11.10 फीसदी रहा है जो इससे पिछले वित्त वर्ष में 10.20 फीसदी था। बैंक ने 25 जनवरी 2018 को विशेष वसूली अभियान की शुरुआत की थी। इसके तहत छोटे एनपीए खातों से उसने अब तक 1,403 करोड़ रुपए जुटाए हैं।