सस्ता तेल, बेहतर खाद्य आपूर्ति प्रबंधन से नियंत्रण में महंगाईः आचार्य

Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Jun, 2019 10:33 AM

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भारतीय रिजर्व बैंक के निर्वतमान डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने हाल के वर्षों में मुद्रास्फीति को सफलतापूर्वक नियंत्रित दायरे में रखने के लिए कच्चे तेल के घटे दाम और बेहतर खाद्य आपूर्ति प्रबंधन को श्रेय दिया है। रिजर्व बैंक ने वर्ष 2016 में मौद्रिक...

मुंबईः भारतीय रिजर्व बैंक के निर्वतमान डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने हाल के वर्षों में मुद्रास्फीति को सफलतापूर्वक नियंत्रित दायरे में रखने के लिए कच्चे तेल के घटे दाम और बेहतर खाद्य आपूर्ति प्रबंधन को श्रेय दिया है। रिजर्व बैंक ने वर्ष 2016 में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) का गठन करते समय चार प्रतिशत के मुख्य मुद्रास्फीति लक्ष्य के साथ इसके ऊपर-नीचे दो प्रतिशत का लचीला मुद्रास्फीति लक्ष्य तय किया है। 

रिजर्व बैंक के वेबसाइट पर जारी एक वक्तव्य में आचार्य के हवाले से कहा गया है, ‘‘मुद्रास्फीति को लचीला लक्ष्य रखने जैसे महत्वपूर्ण सुधार को कच्चे तेल के कम दामों के साथ ही खाद्य पदार्थों की बेहतर आपूर्ति प्रबंधन से काफी मदद मिली। पिछले पांच साल के दौरान मुद्रासफीति तय लक्ष्य के मुकाबले नियंत्रित दायरे में रही है।'' 

आचार्य ने रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर पद से हाल ही में इस्तीफा देने की घोषणा की है। उन्होंने पूंजी बाजार को लेकर भारतीय अनुभव को लेकर आयोजित संगोष्ठी में अपने संबोधन में ये बातें कही हैं। इसका आयोजन हैदराबाद स्थित इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस में किया गया। आचार्य ने इस अवसर पर कहा कि स्थिर वृद्धि और निम्न मुद्रास्फीति वृहद आर्थिक स्थायित्व के लिये दो पूर्व शर्तें हैं। ये दोनों चीजें बचत और पूंजी बाजार के वित्तीयकरण के लिए जरूरी हैं और अब ये दोनों ही चीजें देश में मौजूद हैं। 

डिप्टी गवर्नर ने कहा कि पूंजी बाजार के प्रमुख खंडों में पिछले कुछ दशक से लगातार वृद्धि देखी गई है। इनमें केन्द्र सरकार की प्रतिभूतियों (जी-सेक) राज्य विकास रिण (एसडीएल) कंपनी बांड बाजार और इक्विटी बाजारों में प्राथमिक निर्गम, द्वितीयक बाजारों में शेयरों की खरीद फरोख्त, बाजार पूंजीकरण और कारोबार में लगातार वृद्धि देखी गई है। इक्विटी बाजार हालांकि इसका सबसे बड़ा हिस्सा है लेकिन हाल के वर्षों में जी-सेक और एसडीएल तथा कारपोरेट बांड में भी वृद्धि हुई है।
 

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