तनाव, बॉयकॉट बेअसर! चीन फिर बना भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार

Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Feb, 2021 02:43 PM

china again becomes india s largest trading partner

पिछले साल भारत-चीन सीमा पर जबरदस्त तनाव और इसके बाद देश में चीन विरोधी माहौल बढ़ने, चीनी माल के बायकॉट जैसे अभ‍ियानों का ऐसा लगता है कि खास असर नहीं पड़ा है। साल 2020 में चीन एक बार फिर से भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है।

बिजनेस डेस्कः पिछले साल भारत-चीन सीमा पर जबरदस्त तनाव और इसके बाद देश में चीन विरोधी माहौल बढ़ने, चीनी माल के बॉयकॉट जैसे अभ‍ियानों का ऐसा लगता है कि खास असर नहीं पड़ा है। साल 2020 में चीन एक बार फिर से भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया है। भारत के वाणिज्य मंत्रालय के अस्थायी आंकड़ों के अनुसार दोनों देशों के बीच व्यापार पिछले साल 77.7 बिलियन डॉलर था। हालांकि यह पिछले वर्ष के 85.5 बिलियन से डॉलर कम था लेकिन यह चीन को सबसे बड़ा वाणिज्यिक भागीदार बनाने के लिए पर्याप्त था। हालही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई चीनी ऐप्स पर प्रतिबंध लगा दिया था, साथ ही में पड़ोसी से निवेश की मंजूरी को धीमा कर दिया था।

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सीमा पर विवाद के बाद भारत ने आत्मनिर्भर भारत को भी बढ़ावा देने की घोषणा की थी ताकि बाहरी देशों पर निर्भरता कम की जा सके। भारत चीन निर्मित भारी मशीनरी, दूरसंचार उपकरण और होम अप्लाइंस का आयात करता है। चीन के साथ द्विपक्षीय व्यापार अंतर 2020 में लगभग 40 बिलियन डॉलर था। चीन से कुल 58.7 बिलियन डॉलर का आयात अमेरिका और यूएई के संयुक्त आयत से अधिक था, जो क्रमशः इसके दूसरे और तीसरे सबसे बड़े व्यापार भागीदार हैं। भारत ने कोरोना वायरस महामारी के कारण मांग पर पड़े असर के बीच अपने एशियाई पड़ोसी से आयात कम किया।

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चीन को निर्यात 16.15% बढ़ा
2020 में भारत ने न सिर्फ चीन से आयात घटाया, बल्कि निर्यात भी 16.15 प्रतिशत बढ़ाने में कामयाब रहा। इस दौरान भारत से कुल 20.87 अरब डॉलर का निर्यात हुआ। निर्यात और बढ़ाने के लिए सरकार घरेलू विनिर्माण क्षेत्र को मजबूत बना रही है। उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना के तहत ताइवान भी अपनी कंपनियां भारत में लगाना चाहता है लेकिन भारत सरकार चीन के इंजीनियर को वीजा नहीं दे रही।

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चीन के साथ सबसे बड़ा व्यापार घाटा
पिछले साल सीमा तनाव के चलते मोदी सरकार ने कई चीनी ऐप सहित चीन पर निर्भरता कम करने के लिए निवेश की मंजूरी को धीमा कर दिया था। इस दौरान सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पर काफी जोर भी दिया था। बावजूद इसके भारत चीन निर्मित भारी मशीनरी, दूरसंचार उपकरण और घरेलू उपकरण पर काफी हद तक चीन से आयात पर निर्भर है। जिसकी वजह से चीन के साथ भारत का द्विपक्षीय व्यापार घाटा करीब 40 बिलियन डॉलर का रहा, जो भारत का किसी भी देश के साथ सबसे ज्यादा व्यापार घाटा है।

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