Edited By jyoti choudhary,Updated: 20 May, 2020 10:34 AM
कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से सप्लाई चेन प्रभावित होने के बाद चीन से करीब 1000 कंपनियां अपना कारोबार भारत शिफ्ट करना चाहती हैं। अभी हाल ही में जर्मनी की एक
बिजनेस डेस्कः कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से सप्लाई चेन प्रभावित होने के बाद चीन से करीब 1000 कंपनियां अपना कारोबार भारत शिफ्ट करना चाहती हैं। अभी हाल ही में जर्मनी की एक जूता कंपनी ने अपना मैन्युफैक्चरिंग यूनिट चीन से हटाकर आगरा में शिफ्ट करने की बात कही है। वहीं ओप्पो और एप्पल कंपनियों ने भी ऐसे संकेत दिए हैं। इसपर चीन बौखला गया है। चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स में छपे एक लेख में चीन का गुस्सा साफ तौर पर दिख रहा है।
भारत कभी चीन का विकल्प नहीं बन पाएगा
ग्लोबल टाइम्स के एक लेख में कहा गया है कि लॉकडाउन के कारण भारत की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है। इसके बावजूद वह चीन का विकल्प बनने का सपना देख रहा है लेकिन भारत कभी भी चीन का विकल्प नहीं बन पाएगा। लेख के शब्दों से ही चीन की बौखलाहट का स्तर दिख रहा है। इस लेख में चीन ने वेस्टर्न मीडिया को दलाल तक कह डाला है।
ग्लोबल टाइम्स ने मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देकर लेख में लिखा है, 'भारत के उत्तर प्रदेश राज्य ने चीन से अपने यूनिट को शिफ्ट करने की सोच रहीं कंपनियों को आकर्षित करने के लिए एक इकनॉनिक टास्क फोर्स का गठन किया है। हालांकि भारत की यह सोच गलत है। भारत दुनिया के सामने चीन का विकल्प नहीं बन पाएगा।'
भारत कामयाब नहीं होगाः ग्लोबल टाइम्स
हालांकि, इस तरह के प्रयासों के बावजूद, कोरोना महामारी के दौर में आर्थिक दबाव के बीच चीन को पीछे छोड़कर भारत का दुनिया की अगली फैक्टरी बनने की उम्मीद कम ही है। अखबार लिखता है कि कुछ कट्टर समर्थक मान रहे हैं कि भारत चीन को पीछे छोड़ने की राह पर है, लेकिन यह सिर्फ राष्ट्रवादी सोच के अलावा कुछ नहीं है। वह राष्ट्रवादी डींग है।
अपनी भड़ास निकालते हुए ग्लोबल टाइम्स कहता है कि और इस तरह के दंभ आर्थिक मुद्दों से आगे बढ़कर अब सैन्य स्तर तक पहुंच गए हैं, जिसके कारण कुछ लोगों को गलती से यह विश्वास हो चला है कि वे अब चीन के साथ सीमा से जुड़े मुद्दों का सामना कर सकते हैं। ऐसी सोच निस्संदेह खतरनाक और पथभ्रष्ट होगी।