चीनी ऐप राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा, जानकारियां बेच करते हैं कमाई: गंगवार

Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Jul, 2020 12:36 PM

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बिहार के अपर पुलिस महानिदेशक (आर्थिक अपराध इकाई) जी. एस. गंगवार ने चीन के मोबाइल ऐप को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया और कहा कि ये ऐप ऐसी-ऐसी जानकारियां मांगते हैं, जिनकी कोई खास जरूरत नहीं होती और बाद में वे उसे थर्ड पार्टी को बेचकर कमाई करती...

पटनाः बिहार के अपर पुलिस महानिदेशक (आर्थिक अपराध इकाई) जी. एस. गंगवार ने चीन के मोबाइल ऐप को राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बताया और कहा कि ये ऐप ऐसी-ऐसी जानकारियां मांगते हैं, जिनकी कोई खास जरूरत नहीं होती और बाद में वे उसे थर्ड पार्टी को बेचकर कमाई करती हैं।  

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गंगवार ने गुरुवार को पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी), पटना द्वारा ‘आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम: चाइनीज ऐप पर प्रतिबंध' विषय पर आयोजित वेबिनार में कहा कि केंद्र सरकार ने 29 जून 2020 को 59 चीनी ऐप पर सूचना-प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 के तहत पाबंदी लगाई है। ऐसे ऐप जब दूसरे देशों में लोकप्रिय कराए जाते हैं तो राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर पड़ता ही है। उन्होंने कहा कि ऐसे ऐप से हमारी एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा, लोक व्यवस्था और अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया जा सकता है।

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टिक टॉक 50% अधिक सूचनाएं मांगता
भारत में 60 करोड़ मोबाइल फोन उपभोक्ता हैं जबकि इन्टरनेट इस्तेमाल करने वाले 80 करोड़ हैं। अन्य ऐप के मुकाबले प्रतिबंधित ऐप टिक टॉक 50 प्रतिशत अधिक सूचनाएं मांगता है। अपर पुलिस महानिदेशक ने कहा कि आज इंटरनेट पर डाटा ट्रांसफर की जो दर है, वह बहुत ही विशाल है। इस समय लगभग डेढ़ लाख गीगा बाइट (जीबी) प्रति सेकंड की दर से डाटा का ट्रांसफर होता है। इन डाटा की वाशिंग और प्रोसेसिंग की जाती है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अंतत: इस डेटा का उपयोग कहां और कैसे होता है। 

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डाटा को बताया ऑयल, जिसे कंपनियां थर्ड पार्टी को बेचकर करती हैं कमाई 
ऐप द्वारा ऐसी-ऐसी जानकारियां और परमिशन मांगे जाते हैं, जिनकी कोई खास जरूरत नहीं होती। उन्होंने डाटा को आज का ऑयल (तेल) बताया, जिसे कंपनियां थर्ड पार्टी को बेचकर कमाई करती हैं। इन सबसे बचने के उपायों का उल्लेख करते हुए उन्होंने ‘टैलेंट टैपिंग इकोसिस्टम' बनाने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि क्रिटिकल डाटा पर नियंत्रण तभी संभव हो सकेगा जब इस तरह के सारे ऐप हमारे अपने हो। उन्होंने कहा कि साइबर अपराध की जांच में बाहरी कंपनियों द्वारा समय पर और पूरा सहयोग नहीं मिलता।

राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (नाइलिट), पटना केंद्र के प्रभारी निदेशक आलोक त्रिपाठी ने कहा, ‘‘पहले इस तरह का डिजिटाइजेशन नहीं था लेकिन अब हम तेजी से डिजिटाइजेशन की ओर बढ़ रहे हैं। डिजिटाइजेशन हमारे जीवन के हर पहलू को छू रहा है। हमारे पूरे सामाजिक जीवन को डिजिटाइजेशन प्रभावित कर रहा है। जब कोई नई चीज आती है तो वह अपने साथ चुनौतियां भी लेकर आती है। हमें डिजिटल इकॉनमी एवं डिजिटाइजेशन से जुड़ी चुनौतियों का भी सामना करना पड़ेगा।'' 

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