चीनी कंपनियों को छोटी से छोटी FDI के लिए भी लेनी होगी सरकार की मंजूरी!

Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Oct, 2020 06:17 PM

chinese companies will have to get government approval for even

केंद्र सरकार चीन से आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में जल्द ही बड़ा बदलाव कर सकती है। अब चीन जैसे पड़ोसी मुल्कों से आने वाला एफडीआई भले ही कितना भी बड़ी हो या छोटा, उसके लिए पहले सरकार की इजाजत लेनी होगी। पहले सरकार ने

बिजनेस डेस्कः केंद्र सरकार चीन से आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के नियमों में जल्द ही बड़ा बदलाव कर सकती है। अब चीन जैसे पड़ोसी मुल्कों से आने वाला एफडीआई भले ही कितना भी बड़ी हो या छोटा, उसके लिए पहले सरकार की इजाजत लेनी होगी। पहले सरकार ने कोरोना वायरस महामारी के बीच अनुकूल मौका देखते हुए घरेलू कंपनियों के अधिग्रहण की किसी भी कोशिश पर रोक लगाने के लिए भारत के साथ जमीनी सीमा साझा करने वाले देशों से आने वाले विदेशी निवेश के लिए सरकारी मंजूरी को अप्रैल में अनिवार्य बना दिया था।  

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मोदी सरकार ने उठाया था यह कदम 
तब यह माना जा रहा था कि एफडीआई की अधिकतम सीमा कंपनीज एक्ट के तहत 10 फीसदी या फिर मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत 25 फीसदी तय की जा सकती है। इस फैसले पर चर्चा के करीब छह महीने बीत चुके हैं, लेकिन अब एक अधिकारी के अनुसार, सरकार ने कोई भी अधिकतम या न्यूनतम सीमा तय नहीं की है। दरअसल, कोरोना काल के बीच चीन ने भारत में निवेश करना शुरू किया था, जिससे सजग होकर मोदी सरकार ने यह कदम उठाया था। इसके साथ ही यह कदम इसलिए भी उठाया जा रहा है ताकि 

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चीन की कंपनियां सिंगापुर या मॉरिशस जैसे किसी तीसरे देश के जरिए भी भारत में निवेश ना कर सके। चीन का पेटीएम, जोमैटो और बिगबास्केट जैसे स्टार्टअप में काफी निवेश है। आगामी दिनों में पड़ोसी देशों से निवेश को लेकर बनाई जाने वाली गाइडलाइंस भी फाइनल हो जाने की संभावना है।

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भारतीय स्टार्टअप में चीन का चार अरब डॉलर का निवेश
नांगिया एंडरसन एलएलपी के निदेशक संदीप झुनझुनवाला ने इस बारे में कहा था कि भारत-चीन आर्थिक एवं सांस्कृतिक परिषद के आकलन के अनुसार, चीन के निवेशकों ने भारतीय स्टार्टअप में करीब चार अरब डॉलर का निवेश किया है। उन्होंने कहा कि, 'उनके निवेश की रफ्तार इतनी अधिक है कि भारत के 30 यूनिकॉर्न में से 18 को चीन से वित्तपोषण मिला हुआ है। चीन की प्रौद्योगिकी कंपनियों के कारण उत्पन्न हो रही चुनौतियों को रोकने के लिए कदम उठाने का यही सही समय है।' उल्लेखनीय है कि दिसंबर 2019 से अप्रैल 2000 के दौरान भारत में चीन से 2.34 अरब डॉलर यानी 14,846 करोड़ रुपए के एफडीआई मिले हैं।

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