चीनी सामानों के बॉयकॉट से चीन को लग सकता है 17 अरब डॉलर का झटका

Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Jun, 2020 02:23 PM

chinese goods boycott could hit china 17 billion

पूर्वी लद्दाख में चीन की हरकत के बाद देश में चीनी सामान के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ रही है। कारोबारियों ने भी केंद्र सरकार से मांग की है कि वह ई-कॉमर्स कंपनियों को चीन में बने सामान की बिक्री बंद करने का आदेश दे।

कोलकाताः पूर्वी लद्दाख में चीन की हरकत के बाद देश में चीनी सामान के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ रही है। कारोबारियों ने भी केंद्र सरकार से मांग की है कि वह ई-कॉमर्स कंपनियों को चीन में बने सामान की बिक्री बंद करने का आदेश दे।

चीन से भारत को होने वाले कुल आयात में से रिटेल ट्रेडर्स करीब 17 अरब डॉलर का सामान बेचते हैं। इनमें ज्यादातर खिलौने, घरेलू सामान, मोबाइल, इलेक्ट्रिक और इलेक्ट्रॉनिक सामान और कॉस्मैटिक उत्पाद शामिल हैं। अगर चीन से ये सामान आना बंद होता है तो इससे ये सामान बनाने वाली घरेलू कंपनियों को फायदा होगा।

चीन से माल न मंगाने की सलाह
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के महासचिव वी के बंसल ने कहा, 'हमने अपने सद्स्यों को चीनी माल का स्टॉक निपटाने को कहा है। साथ ही उनसे कहा गया है कि वे वहां से आगे सामान मंगाने में परहेज करें। साथ ही हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह ई-कॉमर्स कंपनियों को चीनी माल बेचने से रोके। कनफेडरेशन ऑफ वेस्ट बंगाल ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष सुशील पोद्दार का भी कहना है कि एसोसिशन ने अपने सदस्यों को चीनी माल का कारोबार बंद करने की सलाह दी है।

हमारा सामान-हमारा अभिमान
कारोबारियों की एक ओर राष्ट्रीय संस्था द कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) ने भी चीनी सामान के बहिष्कार का फैसला किया है। इसके लिए संगठन ‘भारतीय सामान-हमारा अभिमान’ नाम से एक अभियान भी चला रहा है। सीएआईटी ने 450 तरह के सामान की एक व्यापक सूची जारी की है जिनमें करीब 3000 चीनी उत्पाद हैं। साथ ही उसने देश की कई सेलिब्रिटी को एक पत्र लिखकर उन्हें चीन में बने सामान का प्रचार बंद करने का अनुरोध किया है।

उल्लेखनीय है कि पूर्वी लद्दाख में चीन और भारत के सैनिकों के बीच लंबे समय से तनातनी चल रही है। 15 जून की रात दोनों पक्षों में हुई हिंसक झड़प में एक कर्नल समेत 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए। इस घटना से बाद पूरे देश में गुस्सा है और चीनी सामान के बहिष्कार की मांग जोर पकड़ रही है।


 

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