दिवाली पर चीन का निकला दिवाला, चीनी वस्तुओं की बिक्री 60 फीसदी गिरी

Edited By ,Updated: 01 Nov, 2016 07:38 AM

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पाकिस्तान का समर्थन करने के मद्देनजर सोशल मीडिया पर चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की चली मुहिम से इस वर्ष दिवाली पर होने वाली खरीद में चीन निर्मित वस्तुओं की बिक्री में 60 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।

नई दिल्लीः पाकिस्तान का समर्थन करने के मद्देनजर सोशल मीडिया पर चीनी वस्तुओं के बहिष्कार की चली मुहिम से इस वर्ष दिवाली पर होने वाली खरीद में चीन निर्मित वस्तुओं की बिक्री में 60 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। 

खुदरा कारोबार करने वाले व्यापारियों के शीर्ष संगठन कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा आज यहां जारी बयान में यह दावा किया गया कि न सिर्फ खरीदारी करने वालों ने बल्कि कारोबारियों ने भी चीन निर्मित वस्तुओं की बिक्री करने में विशेष उत्साह नहीं दिखाया जिससे भारतीय उत्पादों को उपयोग में लाने की भावना को बल मिला है।  

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने इस संबंध में दिल्ली, मुंबई,नागपुर, जयपुर, कानपुर, अहमदाबाद, भोपाल जैसे 20 शहरों में कराए गए सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए कहा कि पूरे देश में लोगों ने इस वर्ष मिट्टी के बने दिए और मिट्टी, कागज, प्लास्टिक आदि से निर्मित अन्य सजावटी उत्पादों और फूलों की सजावट को तरजीह दी, जबकि कुछ लोगों ने पिछले वर्ष की पड़ी वस्तुओं का उपयोग किया।

उन्होंने कहा कि उरी हमले के बाद पाकिस्तान के समर्थन में उतरे चीन का जिस तरह से सोशल मीडिया पर विरोध शुरू हुआ उसका कुछ असर दिखा है। कारोबारियों ने ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए मेक इन इंडिया के बोर्ड भी लगाये थे। श्री खंडेलवाल ने कहा कि चीनी सामान के मुकाबले इस वर्ष कागज और मिट्टी से बनी सजावटी वस्तुओं के साथ ही चॉकलेट, टॉफी, ड्राई फ्रूट, मिठाइयां, रोजमर्रा की उपभोक्ता वस्तुएं, स्वदेश निर्मित इलैक्ट्रानिक उत्पादों, किचन के सामान, बर्तन, उपहार में दिए जाने वाली वस्तुओं की मांग अधिक रही है। यहां तक कि लोगों ने चीन निर्मित पटाखों की बहुत कम खरीद की है। 

उन्होंने चीनी उत्पादों के उपयोग को बंद किए जाने पर जोर देते हुए कहा कि पहले उनके विकल्प उपलब्ध कराने चाहिए जिससे चीनी वस्तुओं पर निर्भरता कम हो सके और सरकार को एक दीर्घकालिक नीति बनाकर घरेलू व्यापार एवं उद्योग को सक्षम बनाने के लिए नीति बनानी चाहिए, जिससे बेहतर गुणवत्ता के सस्ते उत्पाद बन सके और अंतरराष्ट्रीय बाजार में सस्ते उत्पादों का मुकाबला कर सके।  

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