CII, ईईपीसी ने इंजीनियरिंग निर्यातकों के समक्ष आ रही दिक्कतों पर चिंता जताई

Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Jan, 2021 06:00 PM

cii eepc expresses concern over problems faced by engineering exporters

प्रमुख उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद (ईईपीसी) ने पिछले दो-तीन माह से इंजीनियरिंग निर्यातकों के समक्ष आ रही दिक्कतों को लेकर चिंता व्यक्त की है। निर्यात एवं आयात पर सीआईआई

कोलकाताः प्रमुख उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और इंजीनियरिंग निर्यात संवर्धन परिषद (ईईपीसी) ने पिछले दो-तीन माह से इंजीनियरिंग निर्यातकों के समक्ष आ रही दिक्कतों को लेकर चिंता व्यक्त की है। निर्यात एवं आयात पर सीआईआई समिति के अध्यक्ष संजय बुधिया ने कहा कि इस्पात की अधिक कीमतों और समुद्री रास्ते से मालवहन भाड़े में वृद्धि जैसे कारकों के कारण इंजीनियरिंग निर्यातकों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘इंजीनियरिंग निर्यातक सबसे कठिन दौर से गुजर रहे हैं। भारत के कुल 320 अरब डॉलर के वस्तुओं के निर्यात में से यह क्षेत्र 25 प्रतिशत से अधिक योगदान देता है और यह देश के सबसे बड़े रोजगार प्रदाता क्षेत्र में से एक है।'' 

बुधिया ने कहा कि दुर्भाग्य से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र होने के बावजूद इंजीनियरिंग निर्यातक अब अपने व्यापार के एक बड़े हिस्से को अन्य देशों के हाथों खोने के कगार पर हैं जिससे यहां बड़े पैमाने पर छंटनी हो सकती है। इससे बड़ी संख्या में कारखाने स्थायी रूप से बंद हो जाएंगे। बुधिया ने बताया कि चिंता पैदा करने वाला मुख्य कारक इस्पात की कीमतों में भारी वृद्धि है। उन्होंने कहा कि जुलाई, 2020 से इस्पात की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग निर्यातकों को मौजूदा कीमत से कम से कम 20 प्रतिशत कम पर इस्पात मिलना चाहिए ताकि इस क्षेत्र को कठिनाइयों से बचाया जा सके।

उनके अनुसार, अन्य मुख्य समस्या समुद्री मार्ग के मालवहन के भाड़े में 70 प्रतिशत से 80 प्रतिशत तक असामान्य वृद्धि है। इसके अलावा अन्य लागत भी बढ़ी हैं। ईईपीसी के अध्यक्ष महेश देसाई ने कहा कि सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रम (एमएसएमई) इंजीनियरिंग निर्यात को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि ऋण उचित ब्याज दर पर उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि अन्य दो मुख्य कारण- इस्पात की कीमतों में वृद्धि तथा उत्तरी अमेरिका और यूरोप में समुद्री मालवहन के भाड़े में वृद्धि है। 

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