आयकर छूट सीमा को दोगुना कर पांच लाख रुपए करने की मांग

Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Jan, 2019 06:39 PM

cii for doubling i t exemption to rs 5 lakh hiking 80c deduction limit

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सरकार से आगामी आम बजट में आयकर छूट की सीमा को दोगुना कर 5 लाख रुपए करने का आग्रह किया है। उद्योग मंडल ने इसके साथ ही बचत को प्रोत्साहन देने के लिए धारा

नई दिल्लीः भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने सरकार से आगामी आम बजट में आयकर छूट की सीमा को दोगुना कर 5 लाख रुपए करने का आग्रह किया है। उद्योग मंडल ने इसके साथ ही बचत को प्रोत्साहन देने के लिए धारा 80सी के तहत कटौती की सीमा को बढ़ाकर 2.50 लाख रुपए करने की भी मांग की है। आम बजट एक फरवरी को पेश किया जाना है।

सीआईआई ने वित्त मंत्रालय को सौंपी अपनी बजट पूर्व सिफारिशों में सुझाव दिया है कि व्यक्तिगत आयकर के सबसे ऊंचे स्लैब को भी 30 से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया जाना चाहिये। इसके अलावा चिकित्सा खर्च और परिवहन भत्ते पर भी आयकर छूट मिलनी चाहिए। वर्तमान में व्यक्तिगत आयकर छूट की सीमा 2.5 लाख रुपए है। ढाई लाख से पांच लाख रुपए की आय पर पांच प्रतिशत कर लगता है। वहीं 5 से 10 लाख रुपए की आय पर 20 प्रतिशत तथा 10 लाख रुपए से अधिक की आय पर 30 प्रतिशत आयकर लगता है।

सीआईआई ने सुझाव दिया है कि पांच लाख रुपए तक की आय को करमुक्त किया जाए। इसके अलावा 5-10 लाख रुपए की आय पर कर की दर घटाकर 10 प्रतिशत और 10 से 20 लाख रुपए की आय पर 20 प्रतिशत तथा 20 लाख रुपए से अधिक की आय पर 25 प्रतिशत आयकर लगाया जाना चाहिए। आगामी आम चुनाव के मद्देनजर वित्त मंत्री अरुण जेटली एक फरवरी को 2019-20 के लिए अंतरिम बजट पेश करेंगे। उसके बाद चुनकर आने वाली नई सरकार ही पूर्ण बजट पेश करेगी।

सीआईआई ने यह भी सुझाव दिया है कि सभी कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर को घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया जाना चाहिए। बाद में इसे चरणबद्ध तरीके से घटाकर 18 प्रतिशत पर लाया जाए। उद्योग मंडल ने यह भी कहा है कि आयकर कानून की धारा 80 सी के तहत कर कटौती सीमा को 1.50 लाख रुपए से बढ़ाकर 2.50 लाख रुपए किया जाना चाहिए। सीआईआई ने कहा है कि चिकित्सा खर्च और परिवहन भत्ते की प्रतिपूर्ति की छूट फिर से लाई जानी चाहिए और इसके साथ ही 40,000 रुपए की मानक कटौती को भी लागू रखा जाना चाहिए। उद्योग संगठन ने कहा है कि दीर्घकालिक पूंजीगत नुकसान को अल्पकालिक पूंजी लाभ के साथ समायोजन की अनुमति होनी चाहिए।  

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