Edited By jyoti choudhary,Updated: 08 Nov, 2020 06:23 PM
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर वित्तीय दबाव झेल रहे व्यावसायिक क्षेत्रों के लिए आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) लाने का सुझाव दिया है। सीआईआई ने कहा है कि रोजगारपरक क्षेत्रों पर लम्बे समय तक दबाव से...
नई दिल्लीः भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने वित्त मंत्रालय को पत्र लिखकर वित्तीय दबाव झेल रहे व्यावसायिक क्षेत्रों के लिए आपात ऋण सुविधा गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) लाने का सुझाव दिया है। सीआईआई ने कहा है कि रोजगारपरक क्षेत्रों पर लम्बे समय तक दबाव से अर्थव्यवस्था का सुधार प्रभावित हो सकता है।
सीआईआई ने विशेषरूप से होटल, पर्यटन विमानन और खुदरा जैसे सेवा क्षेत्रों के लिए इस तरह की योजना निकालने की जरूरत पर बल दिया है। उद्योग मंडल ने रविवार को कहा कि उसने दबाव वाले क्षेत्रों को मदद के लिए हस्तक्षेप का आग्रह किया है। सीआईआई ने कहा कि इससे इस साल राजकोषीय घाटे पर असर नहीं पड़ेगा, बल्कि ऐसे क्षेत्रों को नकदी उपलब्ध हो सकेगी, जो बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार प्रदान करते हैं।
सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा, ‘‘हम सरकार के समक्ष राजस्व संकट और इसके राजकोषीय घाटे पर प्रभाव को समझते हैं। जिस तरह एमएसएमई क्षेत्र के लिए ऐसी योजना लाई गई है, अन्य क्षेत्रों के लिए भी लाई जानी चहिए। इससे सभी को फायदा होगा।''
सरकार ने आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) तथा कारोबार क्षेत्र के लिए तीन लाख करोड़ रुपए के गारंटीमुक्त ऋण की योजना ईसीएलजीएस की घोषणा की थी। इस योजना के तहत अभी तक 2.03 लाख करोड़ रुपए का ऋण मंजूर किया गया है और 1.48 लाख करोड़ रुपए वितरित किए जा चुके हैं। यह योजना 31 अक्टूबर को समाप्त हो रही थी, जिसे अब बढ़ाकर 30 नवंबर कर दिया गया है।