CII को सताई करोड़ों कर्मचारियों की चिंता, कंपनियों से कहा- न करें छंटनी

Edited By vasudha,Updated: 20 Mar, 2020 10:08 AM

cii worried over crores of employees

कोरोना वायरस संकट के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी के बीच भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने अपनी सदस्य कंपनियों से कर्मचारियों की छंटनी नहीं करने को कहा है। परिसंघ के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर की यह टिप्पणी मांग में कमी की चिंता को लेकर कंपनियों...

बिजनेस डेस्क: कोरोना वायरस संकट के चलते वैश्विक अर्थव्यवस्था में नरमी के बीच भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने अपनी सदस्य कंपनियों से कर्मचारियों की छंटनी नहीं करने को कहा है। परिसंघ के अध्यक्ष विक्रम किर्लोस्कर की यह टिप्पणी मांग में कमी की चिंता को लेकर कंपनियों के छंटनी का रास्ता अपनाने की संभावना के बीच आयी है। दुनियाभर में कोरोना वायरस के फैलाव को रोकने के लिए कई देशों ने अलग-अलग तरह के प्रतिबंध लगाए हैं। इससे मांग की कमी के चलते भारत समेत अन्य देशों में कंपनियों के लोगों को नौकरी से निकाले जाने की आशंका है। 


मौजूदा समय को ‘चुनौतीपूर्ण' करार देते हुए किर्लोस्कर ने एक साक्षात्कार में कहा कि व्यवस्था में नकदी बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक को नीतिगत दरों को कम करना चाहिए। वहीं सरकार को उद्योग जगत के सभी ऋणों की वसूली रोक देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने अपनी सदस्य कंपनियों से आग्रह किया है कि वह अपने कर्मचारियों को बनाए रखें और जितना संभव हो सके उनकी छंटनियां ना करें। साथ ही छोटे सेवाप्रदाताओं का भी ख्याल रखा जाना चाहिए। वर्ष 2019 के अंत तक 9,325 कंपनियां सीआईआई की सदस्य बन चुकी हैं। अन्य क्षेत्रों के अलावा कोरोना वायरस महामारी से सबसे ज्यादा विमानन कंपनियों को प्रभावित किया है। 

 

गोएयर ने क्रमिक आधार पर अपने कर्मचारियों को बिना वेतन की छुट्टी पर भेजने की घोषणा की है। वहीं इंडिगो ने अपने कर्मचारियों के वेतन में 25 प्रतिशत की कटौती करने की घोषणा की है। कर्ज में डूबी सरकार विमानन कंपनी एअर इंडिया भी कर्मचारियों के वेतन में पांच प्रतिशत तक की कमी करने पर विचार कर रही है। किर्लोस्कर ने कहा कि दुनिया के अन्य देशों से तुलना करके देखें तो हमारी सरकार ने इस संकट के दौरान अच्छा काम किया है। 

 

सरकार को अर्थव्यवस्था को और सहारा देना चाहिए क्योंकि हमारा निर्यात प्रभावित हो रहा है। किर्लोस्कर ने कहा कि ​हमने सरकार से अनुरोध किया है कि सभी ऋणों की वसूली पर रोक लगाकर सरकार को उद्योग की मदद करनी चाहिए। वही केंद्र और राज्य सरकारों का लघु उद्योग क्षेत्र का जितना बकाया है उसका त्वरित भुगतान कर देना चाहिए। उन्होंने रिजर्व बैंक से लघु अवधि के लिए उसकी मौद्रिक नीतिगत दरों को नरम करने का भी आग्रह किया। ताकि व्यवस्था में नकदी की उपलब्धता बढ़ायी जा सके। इस हफ्ते की शुरूआत में रिजर्व बैंक ने नीतिगत दरों में कटौती के संकेत दिए हैं। 
 

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