CCI का दावा, रिटेलर दवाओं पर वसूलते हैं 30 गुना तक दाम

Edited By Isha,Updated: 03 Feb, 2019 10:59 AM

claims of cci  retailers charge on medicines up to 30 times

निजामाबाद चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने आज दावा किया कि देश में अधिकतर दवा रिटेलर 2 से 30 गुना दाम पर दवाई बेचते हैं तथा सरकार से सभी दवाओं की अधिकतम कीमत तय करने का अनुरोध किया है। चैम्बर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उप-राष्ट्रपति एम.

नई दिल्ली: निजामाबाद चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने आज दावा किया कि देश में अधिकतर दवा रिटेलर 2 से 30 गुना दाम पर दवाई बेचते हैं तथा सरकार से सभी दवाओं की अधिकतम कीमत तय करने का अनुरोध किया है। चैम्बर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उप-राष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू को पत्र लिखकर ऐसी 4 जीवन रक्षक दवाओं की सूची दी है जिन्हें रिटेलर खरीद की तुलना में 9 गुना या उससे ज्यादा कीमत पर बेच रहे हैं। चैम्बर के संस्थापक अध्यक्ष पी.आर. सोमानी ने ऐसी कई दवाओं की सूची जारी की जिन पर रिटेलर दोगुना से 30 गुना तक मुनाफा कमा रहे हैं। उन्होंने इसके प्रमाण के रूप में रिटेलरों को कम्पनी द्वारा दिए जाने वाले इनवॉयस की पर्ची दिखाई।

मुनाफे वाली दवाओं को बेचते हैं ज्यादा
सोमानी ने दावा किया कि डिस्ट्रीब्यूटर उन्हीं दवाओं को ज्यादा बेचते हैं जिस पर उन्हें अधिक मुनाफा मिलता है। डिस्ट्रीब्यूटरों के दबाव में कम्पनियां कई गुणा तक एम.आर.पी. पिं्रट करती हैं। उन्होंने बताया कि वॉकहार्ट कम्पनी की दवा सिनवॉक्स 25टी डिस्ट्रीब्यूटर को 8 रुपए में बेची जाती है और डिस्ट्रीब्यूटर इसे 160.13 रुपए के एम.आर.पी. पर ग्राहक को बेचता है। इसी प्रकार सिप्ला की ओकासेट-एल डिस्ट्रीब्यूटर को 3.70 रुपए में मिलती है जिसे वह 57 रुपए के एम.आर.पी. पर बेचता है। डायलिसिस में काम आने वाला रिलायंस का इंजैक्शन आई.पी. 4000 आई.यू. डिस्ट्रीब्यूटर 150 रुपए में खरीदता है और ग्राहक को 1,400 रुपए की एम.आर.पी. पर बेचता है।

सरकार दवाओं का अधिकतम मूल्य तय करे
चैम्बर ने सरकार से दवाओं के दाम कम करने के लिए सभी का अधिकतम मूल्य तय करने की मांग की है। उसका कहना है कि इससे लोगों का चिकित्सा खर्च 85 से 90 प्रतिशत तक कम हो जाएगा। अभी सिर्फ शैड्यूल दवाओं की कीमत तय है तथा अन्य दवाओं के दाम तय करने के लिए कम्पनियां स्वतंत्र हैं। फार्मास्यूटिकल विभाग ने चैम्बर की ओर से प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे पत्र का जवाब 24 जनवरी को दिया है। इसमें कहा गया है कि देश में 20 प्रतिशत दवाओं की ही अधिकतम कीमत सरकार ने तय की हुई है। शेष 80 प्रतिशत दवाओं की कीमत सरकारी नियंत्रण से बाहर है। कम्पनियों को हालांकि एम.आर.पी. में प्रति वर्ष 10 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि करने की इजाजत नहीं है।

इन दवाओं की सूची प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी
विभाग ने दावा किया है कि जिन 32,834 दवाओं पर सरकारी नियंत्रण नहीं है, उनमें 27,321 दवाओं पर डिस्ट्रीब्यूटर 30 प्रतिशत या उससे कम मुनाफा कमाते हैं। शेष 5,513 दवाओं पर कम्पनियां 30 प्रतिशत से ज्यादा मुनाफा वसूलती हैं। इसके जवाब में चैम्बर ने 1 फरवरी को 1,097 दवाओं की सूची एक बार फिर प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजी है जिन्हें 100 प्रतिशत से 2,100 प्रतिशत मुनाफे पर बेचा जा रहा है। इनमें थियोजिन कम्पनी की 273, ऐबट की 223, सिप्ला की 179, त्रिपदा की 229, एम्क्योर की 99 और वॉकहार्ट की 76 दवाएं शामिल हैं।

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