India vs China: CLSA ने भारत में निवेश बढ़ाया, चीन पर लगाया ब्रेक, क्या है कारण?

Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Nov, 2024 05:10 PM

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हांगकांग की ब्रोकरेज फर्म CLSA ने चीन में अपने निवेश को घटाकर भारत में 20 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद उठाया गया है। यह फैसला अक्टूबर की शुरुआत में लिए गए निर्णय के विपरीत है, जब 24 सितंबर...

बिजनेस डेस्कः हांगकांग की ब्रोकरेज फर्म CLSA ने चीन में अपने निवेश को घटाकर भारत में 20 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। यह कदम अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद उठाया गया है। यह फैसला अक्टूबर की शुरुआत में लिए गए निर्णय के विपरीत है, जब 24 सितंबर को चीन द्वारा प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा के बाद CLSA ने चीन में निवेश बढ़ाया था। चीन ने 8 नवंबर को 1.4 ट्रिलियन डॉलर के प्रोत्साहन पैकेज की दूसरी किस्त की घोषणा की थी और जनवरी 2025 में एक और पैकेज की उम्मीद जताई जा रही है। CLSA के इस निवेश वृद्धि का मतलब है कि भारतीय शेयर बाजार अन्य बाजारों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।

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CLSA के इस निर्णय के पीछे अमेरिका और चीन के बीच संभावित व्यापार युद्ध (ट्रेड वॉर) की आशंका को मुख्य कारण माना जा रहा है। ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार में चीन से आयात पर 60 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने का प्रस्ताव रखा था। साथ ही चीनी सरकार के प्रोत्साहन पैकेज को निवेशकों ने अपेक्षाकृत कम प्रभावी पाया है।

भारत में बढ़ता निवेश

ट्रंप की जीत के बाद CLSA ने अक्टूबर में लिए गए अपने फैसले को बदलते हुए चीन में निवेश को 'समान भार' (इक्वल वेट) और भारत में 'अधिक भार' (ओवरवेट) कर दिया है। यह उस समय हो रहा है जब अक्टूबर की शुरुआत से ही भारत में विदेशी निवेशकों द्वारा 14.2 अरब डॉलर की बिकवाली देखी गई है।

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हालांकि CLSA ने यह स्वीकार किया है कि भारत में शेयर बाजार का मूल्यांकन 'महंगा' है लेकिन उसका मानना है कि ट्रंप की व्यापार नीतियों से भारत अन्य एशियाई बाजारों की तुलना में कम प्रभावित होगा। अधिकारियों का मानना है कि ट्रंप का भारत के निर्यात पर उतना प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा जितना कि चीन जैसे अन्य देशों पर पड़ सकता है।

चीन पर घटता विश्वास

लंदन स्थित स्वतंत्र थिंक टैंक ऑक्सफोर्ड इकोनॉमिक्स का भी अनुमान है कि अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव मध्यम अवधि में चीन और अन्य लक्षित अर्थव्यवस्थाओं के निर्यात को प्रभावित कर सकता है, जिससे कुछ उद्योग जैसे ऑटोमोबाइल और स्टील, पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

पिछले हफ्ते, चीन ने धीमी आर्थिक वृद्धि को प्रोत्साहित करने के लिए 1.4 ट्रिलियन डॉलर के प्रोत्साहन पैकेज की घोषणा की थी। CLSA ने कहा है कि मौजूदा घटनाक्रमों को देखते हुए, 2025 में चीनी शेयरों पर बेंचमार्क एक्सपोजर से ऊपर बनाए रखने का पर्याप्त आधार नहीं दिखता। उसके अनुसार, ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में व्यापार युद्ध की संभावना अधिक है, जो चीनी इक्विटी के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, खासकर जब चीन की अर्थव्यवस्था 2018 की तुलना में निर्यात पर अधिक निर्भर हो गई है।

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