विदेशी को नहीं भा रहा वाणिज्यिक वाहन बाजार

Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 Sep, 2018 02:52 PM

commercial vehicle market does not concern foreigners

फॉक्सवैगन समूह का हिस्सा और ट्रक बनाने वाली कंपनी मैन ने 12 साल तक भारत में कामकाज करने के बाद पिछले महीने इसे बंद करने का फैसला किया। इसी साल जून में वाणिज्यिक वाहन बनाने वाली

नई दिल्लीः फॉक्सवैगन समूह का हिस्सा और ट्रक बनाने वाली कंपनी मैन ने 12 साल तक भारत में कामकाज करने के बाद पिछले महीने इसे बंद करने का फैसला किया। इसी साल जून में वाणिज्यिक वाहन बनाने वाली स्वीडन की कंपनी स्कैनिया ने भारत में लक्जरी बसों का निर्माण बंद करने की घोषणा की। ट्रक बनाने कंपनी नैवीस्टार ने पांच साल पहले एक संयुक्त उपक्रम में महिंद्रा ऐंड महिंद्रा का साथ छोड़ दिया था और देश से रुखसत हो गई थी। देश में कार बाजार में विदेशी कंपनियों की तूती बोलती है और दोपहिया बाजार में उनकी एक तिहाई हिस्सेदारी है, लेकिन मझोले और भारी वाणिज्यिक वाहनों के बाजार में 90 फीसदी हिस्सा घरेलू कंपनियों के पास है।

टाटा मोटर्स, अशोक लीलैंड और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा का ट्रक और बस बाजार में दबदबा है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारत का वाणिज्यिक वाहन बाजार बेहद मुश्किल है और कुछ अपवादों को छोड़ दें तो अधिकांश की रणनीति कामयाब नहीं हो पाई है। आंकड़ों की बात करें तो वित्त वर्ष 2018 में 35,649 मझोले और भारी वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री हुई जिसमें टाटा मोटर्स, अशोक लीलैंड और महिंद्रा ऐंड महिंद्रा की हिस्सेदारी 80 फीसदी रही। स्वीडन की कंपनी वोल्वो और भारत की आयशर मोटर के संयुक्त उपक्रम वीईसीवी की हिस्सेदारी 13 फीसदी और जापान की सुमिमोतो कॉरपोरेशन और इसुजू मोटर्स द्वारा प्रवर्तित एसएमएल इसुजू की सात फीसदी रही। सायम के आंकड़ों के मुताबिक मझोले और भारी ट्रकों के बाजार में पिछले वर्ष 304,664 वाहन बिके जिसमें भारतीय तिकड़ी की हिस्सेदारी 88 फीसदी रही। इन आंकड़ों में डेमलर की बिक्री शामिल नहीं है जिसे भारतीय बाजार में कुछ सफलता मिली है। मैन और स्कैनिया ने कभी भी अपनी बिक्री के आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं किया। 

2017 के मध्य तक टाटा मोटर्स के वाणिज्यिक वाहन डिवीजन में कार्यकारी निदेशक रहे रवींद्र पिशरोडी ने कहा कि भारतीय कंपनियों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के आने का अंदाजा था, इसलिए उन्होंने खूब तैयारी की थी। उन्होंने कहा, 'भारतीय कंपनियों ने जो उत्पाद उतारे वे किसी भी मायने में विदेशी कंपनियों से कमतर नहीं थे। शुरुआती दावों के बावजूद विदेशी कंपनियां कुछ भी बेहतर उत्पाद नहीं उतार पाए।'
 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!