कंपनियों का लाभ सितंबर तिमाही में अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचा: क्रिसिल

Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Dec, 2020 12:07 PM

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कंपनियों का लाभ जुलाई-सितंबर तिमाही में 15 प्रतिशत बढ़कर अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। इसका कारण कच्चे माल की लागत में कमी तथा क्षमता का बेहतर उपयोग होने से मार्जिन का विस्तार होना है। प्रमुख रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने

मुंबईः कंपनियों का लाभ जुलाई-सितंबर तिमाही में 15 प्रतिशत बढ़कर अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। इसका कारण कच्चे माल की लागत में कमी तथा क्षमता का बेहतर उपयोग होने से मार्जिन का विस्तार होना है। प्रमुख रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने सोमवार को यह कहा। एजेंसी ने कहा कि निरपेक्ष रूप से ब्याज, कर, मूल्य ह्रास और संपत्ति की लागत को धीरे-धीरे बट्टे खाते में डालने (ईबीआईटीडीए) से पूर्व का लाभ सितंबर में 1.60 लाख करोड़ रुपए के अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया जो इससे पूर्व जून तिमाही में 1.02 लाख करोड़ रुपए था। 

उल्लेखनीय है कि महामारी के कारण अर्थव्यवस्था में गिरावट के बावजूद कंपनियों में लाभ की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इसको देखते हुए कुछ विश्लेषकों ने चिंता जताते हुए दावा किया कि यह असमानता बढ़ने का उदाहरण है। क्रिसिल ने कहा कि क्षमता के बेहतर उपयोग, बिजली, ईंधन और कच्चे माल की लागत के बेहतर प्रबंधन से कंपनियों का लाभ बढ़ा है। रेटिंग एजेंसी ने 800 सूचीबद्ध कंपनियों का विश्लेषण कर यह निष्कर्ष निकाला है। इसमें बैंक, वित्त और तेल एवं गैस कंपनियों को छोड़कर एनएसई के बाजार पूंजीकरण का 85 प्रतिशत का प्रतिनिधित्व करने वाले क्षेत्र शामिल हैं। क्रिसिल के अनुसार आलोच्य तिमाही में कच्चे माल की लागत में वृद्धि के बावजूद सकल रूप से परिचालन लाभ में एक प्रतिशत से अधिक सुधार हुआ है।

कर्मचारियों की लागत के हिसाब से देखा जाए तो विनिर्माण से जुड़ी 370 कंपनियों के आकलन से इसमें 4 प्रतिशत की गिरावट का पता चलता है जो चिंता की बात है। हालांकि, सेवा क्षेत्र में इसमें हल्की वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार कंपनियों का लाभ बढ़ा है लेकिन इस दौरान उनकी आय में बढ़ोतरी नहीं हुई है। कंपनियों की आय दूसरी तिमाही में स्थिर रही। जबकि पहली तिमाही अप्रैल-जून में इसमें 29 प्रतिशत की गिरावट आई थी। आय में गिरावट के मामले में बड़ी कंपनियों की तुलना में सर्वाधिक प्रभावित छोटी कंपनियां रही हैं। इसका कारण छोटी कंपनियों की मोल-तोल की शक्ति का सीमित होना है। रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष की पहली छमाही में जहां छोटी 400 कंपनियों में से 20 प्रतिशत से भी कम की आय में वृद्धि दर्ज की गई है। वहीं शीर्ष 100 कंपनियों में से करीब 35 प्रतिशत की आय बढ़ी है। 

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