कोविड-19 महामारी ने कंपनियों को तेजी से डिजिटलीकरण करने की जरूरत को महसूस कराया और जो कंपनियां अधिक डिजिटलीकरण कर रही हैं, वे ज्यादा रोजगार सृजित कर रही हैं। एक अध्ययन में मंगलवार को यह बात कही गई। श्रमबल को
नई दिल्लीः कोविड-19 महामारी ने कंपनियों को तेजी से डिजिटलीकरण करने की जरूरत को महसूस कराया और जो कंपनियां अधिक डिजिटलीकरण कर रही हैं, वे ज्यादा रोजगार सृजित कर रही हैं। एक अध्ययन में मंगलवार को यह बात कही गई। श्रमबल को लेकर समाधान मुहैया कराने वाले मैनपावर समूह ने विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) के आभासी दावोस एजेंडा शिखर सम्मेलन में एक सर्वेक्षण जारी किया। उसने कहा कि डिजिटलीकरण व कौशल पर कोविड-19 के प्रभाव को लेकर उसके नए अध्ययन में तीन नए रुझान उभरे है।
ये रुझान हैं- ‘नवीकरण, नया कौशल और नई नियुक्ति'। मैनपावर समूह ने बताया कि उसने 40 से अधिक देशों के 26 हजार से ज्यादा नियोक्ताओं को इस सर्वेक्षण में शामिल किया है। उसने कहा कि सर्वेक्षण के अनुसार, कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप 38 प्रतिशत कंपनियां डिजिटलीकरण तेज कर रही हैं। केवल 17 प्रतिशत ने कहा कि उनकी योजना फिलहाल इसे रोकने की है।
सर्वेक्षण में यह भी पता चला है कि जो नियोक्ता डिजिटलीकरण की योजना पर काम कर रहे हैं, वे कर्मचारियों की संख्या बरकरार रखने या बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। डिजिटलीकरण की योजना पर काम कर रही कंपनियों में से 86 प्रतिशत कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने जा रही हैं। इसके विपरीत महज 11 प्रतिशत नियोक्ता ही छंटनी करने या स्वचालन की योजना को रोकने पर विचार कर रहे हैं। समूह ने कहा कि डिजिटलीकरण पर महामारी का प्रभाव दुनिया भर में काफी अलग है। जर्मनी, ऑस्ट्रिया, जापान और इटली में इसमें सबसे अधिक तेजी दर्ज की गई है, जबकि अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन में डिजिटलीकरण पर खर्च बढ़ाने की संभावना कम है।
स्टर्लिंग विल्सन सोलर ने ओमान में 25 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना चालू की
NEXT STORY