अमेजॉन पर भारी पड़ी फ्लिपकॉर्ट से टक्कर, 54.1 करोड़ डॉलर का हुआ घाटा

Edited By ,Updated: 29 Oct, 2016 01:50 PM

competition with flipkart amazon has loss of 54 1 crore dollar

अमेजॉन भारत की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी बनने के लिए बहुत दांव-पेच लगा रही है, लेकिन देसी कंपनी फ्लिपकार्ट से आगे निकलने की होड़ उसे बहुत महंगी पड़ रही है।


नई दिल्लीः अमेजॉन भारत की सबसे बड़ी ई-कॉमर्स कंपनी बनने के लिए बहुत दांव-पेच लगा रही है, लेकिन देसी कंपनी फ्लिपकार्ट से आगे निकलने की होड़ उसे बहुत महंगी पड़ रही है। अमरीका की यह कंपनी भारत में अपना कारोबार बढ़ाने के लिए 2014 के मध्य से अब तक 5 अरब डॉलर के निवेश का वायदा कर चुकी है। उसके उलट फ्लिपकार्ट ने अभी तक केवल 3 अरब डॉलर ही जुटाए हैं। 

अमेजॉन के मुख्य वित्तीय अधिकारी ब्रायन टी ओल्साव्स्की ने विश्लेषकों और निवेशकों से कहा, 'अभी हमारे लिए सबसे बड़ी बात भारत में निवेश करना है और हम लगातार निवेश कर रहे हैं। उपभोक्ताओं और विक्रेताओं से हमें जो शुरुआती प्रतिक्रिया मिली है उससे हम बहुत उत्साहित हैं।' कंपनी ने 3 साल पहले भारतीय बाजार में प्रवेश किया था और उसने प्रमुख शहरों में गोदाम बनाने, अपनी आने वाली प्राइम वीडियो स्ट्रीमिंग सर्विस के लिए बॉलीवुड के अधिकार खरीदने, उत्पादों की कीमत कम रखने के लिए विक्रेताओं से कम कमीशन वसूलने और आक्रामक प्रचार के लिए अच्छा खासा निवेश किया है। उसने भारत में अपनी तकनीकी टीम का विस्तार भी किया है, जिससे अंतरराष्ट्रीय परिचालन के लिए उत्पाद तैयार करने और स्थानीय बाजार की जरूरतें पूरी करने में मदद मिलती है।

सितंबर में समाप्त हुई तिमाही में कंपनी का नुकसान दोगुने से ज्यादा होकर 54.1 करोड़ डॉलर पहुंच गया है। इसकी बड़ी वजह भारत में निवेश है। अमेजॉन के कुल राजस्व में अंतरराष्ट्रीय कारोबार की हिस्सेदारी एक तिहाई है। सितंबर तिमाही में यह कारोबार लगभग 10.6 अरब डॉलर रहा। इस तिमाही में कंपनी का नुकसान इसलिए भी बढ़ा क्योंकि उसने भारत में त्योहारी मौसम की बिक्री में उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए दोनों हाथों से खर्च किया। हालांकि त्योहारी दौर का असली फायदा फ्लिपकार्ट को ही मिला, जो होड़ से बाहर कही जा रही थी। त्योहारी सीजन में उसने सबसे ज्यादा बिक्री दर्ज की। हालांकि इस साल के मध्य से फ्लिपकार्ट की कीमत 15.2 अरब डॉलर से घटकर 9 अरब डॉलर रह गई। अमेजॉन की वजह से फ्लिपकार्ट को भी छूट के चक्कर में ज्यादा खर्च करना पड़ा और अधिक वेतन पर अधिकारी भी लाने पड़े।

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