Edited By Supreet Kaur,Updated: 29 Sep, 2018 10:04 AM
भारतीय बैंकिंग प्रणाली वर्तमान में फंसे कर्ज (एनपीए) की समस्या से जूझ रही है। इसी को देखते हुए देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की समीक्षा के लिये एक मध्यस्थ समीक्षा प्रणाली शुरू की है।
कोलकाताः भारतीय बैंकिंग प्रणाली वर्तमान में फंसे कर्ज (एनपीए) की समस्या से जूझ रही है। इसी को देखते हुए देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों की समीक्षा के लिये एक मध्यस्थ समीक्षा प्रणाली शुरू की है।
बैंक के प्रबंध निदेशक दिनेश खारा ने कहा कि इस समीक्षा व्यवस्था ने दो महीने पहले ही काम करना शुरू कर दिया है। इस प्रणाली के तहत बैंकों के विभिन्न क्षेत्रों को दिए कर्ज की स्थिति की समीक्षा की जाएगी और तय किया जाएगा कि किस क्षेत्र में कर्ज गतिविधियों को आगे बढ़ाना ठीक होगा और कहां नहीं। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के एक कार्यक्रम से इतर खारा ने संवाददाताओं से कहा कि कर्ज मांगे जाने के प्रस्ताव पर विशेषज्ञ अपनी राय देंगे जिसके बाद उस पर निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने बताया कि बैंक के कर्ज में कॉरपोरेट क्षेत्र की हिस्सेदारी 40 फीसदी और खुदरा क्षेत्र की 57 फीसदी है।
एसबीआई को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में उसके कर्ज वितरण में 10 फीसदी और जमा में 15-16 फीसदी की वृद्धि होगी। सितंबर में बैंक की ऋण वृद्धि बेहतर रही है। खारा ने कहा कि बैंक की गैर-निष्पादित आस्तियां (एनपीए) पांच प्रतिशत रही है जबकि उसका सकल एनपीए आठ प्रतिशत रहा है। ‘‘एनपीए का रूझान कम हो रहा है।’’ कर्ज बोझ तले दबी आईएल एण्ड एफएस को बैंके के समर्थन के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि आईएलएण्ड एफएस ने एनसीएलटी के समक्ष याचिका दायर की है। इसमें उसने कंपनी अधिनियम के तहत कुछ राहत मांगी है। ‘‘जब तक एनसीएलटी से इस बारे में कुछ सामने नहीं आता है तब तक हम कुछ तय नहीं कर सकते हैं। ’’