रिजर्व बैंक ने चेतायाः और खराब होगी बैंकों की हालत, NPA में होगी बढ़ौतरी

Edited By Supreet Kaur,Updated: 28 Jun, 2018 10:26 AM

condition of banks will be worse increase in npa says rbi

रिजर्व बैंक ने बैंकों की सकल एनपीए की स्थिति को लेकर धुंधली तस्वीर पेश की है। केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि बैंकों की सकल गैर-निष्पादित राशि (एनपीए) चालू वित्त वर्ष की समाप्ति तक बढ़कर 12.2 फीसदी तक पहुंच जाएगी। इससे पहले मार्च 2018 की समाप्ति तक यह...

बिजनेस डेस्कः रिजर्व बैंक ने बैंकों की सकल एनपीए की स्थिति को लेकर धुंधली तस्वीर पेश की है। केन्द्रीय बैंक ने कहा है कि बैंकों की सकल गैर-निष्पादित राशि (एनपीए) चालू वित्त वर्ष की समाप्ति तक बढ़कर 12.2 फीसदी तक पहुंच जाएगी। इससे पहले मार्च 2018 की समाप्ति तक यह अनुपात 11.6 फीसदी था।

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आने वाले दिनों में बैंकों पर बढ़ेगा दबाव
रिजर्व बैंक ने अपनी वित्तीय स्थायित्व रिपोर्ट (एफएसआर) में कहा है कि बैंकिंग क्षेत्र पर सकल गैर-निष्पादित कर्ज का दबाव लगातार बना रहेगा और आने वाले समय में यह अनुपात और बढ़ेगा। इसमें कहा गया है, ‘‘वृहद आर्थिक कारकों पर आधारित परीक्षण से संकेत मिलता है कि मौजूदा परिदृष्य के आधारभूत परिवेश में अनूसुचित वाणिज्यक बैंकों की सकल गैर-निष्पादित राशि मार्च 2018 के 11.6 फीसदी से बढ़कर मार्च 2019 तक 12.2 फीसदी पर पहुंच जाएगा।’’ सार्वजनिक क्षेत्र के त्वरित सुधारात्मक कारवाई नियमों के दायरे में आए 11 बैंकों के बारे में रिजर्व बैंक ने कहा है कि इन बैंकों का एनपीए अनुपात की स्थिति और बिगड़ सकती है और यह मार्च 2018 के 21 फीसदी से बढ़कर चालू वित्त वर्ष की समाप्ति तक 22.3 फीसदी पर पहुंच सकता है।

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इन बैंकों पर होगी कार्रवाई
रिपोर्ट में कहा गया है कि इन 11 बैंकों में से छह बैंकों को जरूरी न्यूनतम जोखिम भारित संपत्ति अनुपात (सीआरएआर) के नौ फीसदी के मुकाबले पूंजी की तंगी झेलनी पड़ सकती है। ऊंचे एनपीए के चलते रिजर्व बैंक की त्वरित सुधारात्मक कारवाई (पीसीए) के दायरे में जिन बैंकों को रखा गया है उनमें- आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक,  सैंट्रल बैंक आफ इंडिया, बैंक आफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, देना बैंक, आरिएंटल बैंक आफ कामर्स, बैंक आफ महाराष्ट्र, यूनाइटेड बैंक आफ इंडिया, कार्पोरेशन बैंक और इलाहाबाद बैंक शामिल हैं। रिजर्व बैंक की इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सभी वाणिज्यक बैंकों के मुनाफे में कमी आई है, आंशिक तौर पर इससे बढ़े प्रावधान का पता चलता है। हालांकि, इसमें कहा गया है कि 201718 में जमा वृद्धि धीमी रहने के बावजूद ऋण वृद्धि में तेजी आई है।       

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