Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Oct, 2019 06:25 PM
उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) और नागर विमानन मंत्रालय राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया के लिए खरीदारों को आकर्षित करने के लिए इस क्षेत्र के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों में ढील देने की संभावनाओं पर विचार कर...
नई दिल्लीः उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्द्धन विभाग (डीपीआईआईटी) और नागर विमानन मंत्रालय राष्ट्रीय विमानन कंपनी एयर इंडिया के लिए खरीदारों को आकर्षित करने के लिए इस क्षेत्र के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नियमों में ढील देने की संभावनाओं पर विचार कर रहे हैं।
सरकार लंबे समय से कर्ज के बोझ से दबी एयरलाइन को बेचने का प्रयास कर रही है लेकिन उसके लिए खरीदार नहीं मिल रहे हैं। अब सरकार ने अगले महीने एयर इंडिया के लिए बोलियां मांगने का फैसला किया है। विमानन क्षेत्र में स्वत: मंजूर मार्ग से रखरखाव, मरम्मत, ओवरहॉल (एमआरओ), ग्राउंड हैंडलिंग और विमान खरीद के लिए 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति है। अधिकारी ने कहा कि एयरलाइन के परिचालन में उल्लेखनीय स्वामित्व और प्रभावी नियंत्रण का मुद्दा होता है। ऐसे में हम नागर विमानन मंत्रालय से इस बारे में बातचीत कर रहे हैं कि क्या वे इसे उदार करने की इच्छा रखते हैं।
अधिकारी ने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि यदि आप 100 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति देते हैं, तो इससे एयर इंडिया की बोली की संभावनाएं बेहतर हो सकेंगी। नागर विमानन मंत्रालय को भी इसकी जानकारी है। हम यह मुद्दा उनके साथ भी उठा रहे हैं।'' एयरलाइन पर 58,000 करोड़ रुपए का कर्ज का बोझ है। इसके अलावा उसका घाटा भी हजारों करोड़ रुपए का है। एक अंतर मंत्रालयी समूह की मंगलवार को होने वाली बैठक में अन्य चीजों के अलावा इस मुद्दे पर भी विचार-विमर्श हो सकता है।
अंतर मंत्रालयी समूह की बैठक में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करने के लिए एफडीआई नीति को और उदार करने पर विचार विमर्श होगा। अधिकारी ने कहा कि विभाग उन क्षेत्रों में नियमों को उदार करने पर विचार कर रहा है जहां अभी स्वत: मंजूर मार्ग से शतप्रतिशत एफडीआई की अनुमति नहीं है। चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून की अवधि में देश में एफडीआई का प्रवाह 28 प्रतिशत बढ़कर 16.33 अरब डॉलर पर पहुंच गया।