Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Oct, 2020 01:30 PM
पिछले साल के मुकाबले खाने के तेल पहले ही 25 से 33 फीसदी महंगा बिक रहा था लेकिन अब त्योहारी सीजन में मांग बढ़ने और सरसों तेल में दूसरे तेलों की ब्लेंडिंग बंद होने से कीमतों में और उछाल आ गया है। सरसों तेल का भाव तो 160 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया है।
बिजनेस डेस्कः पिछले साल के मुकाबले खाने के तेल पहले ही 25 से 33 फीसदी महंगा बिक रहा था लेकिन अब त्योहारी सीजन में मांग बढ़ने और सरसों तेल में दूसरे तेलों की ब्लेंडिंग बंद होने से कीमतों में और उछाल आ गया है। सरसों तेल का भाव तो 160 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गया है।
आलू-प्याज के बाद अब खाद्य तेल आम आदमी की जेब ढीली कर रहा है। पिछले 1 साल के अंदर दामों में 25 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी देखने को मिली है त्योहारी सीजन में भाव में और बढ़ोतरी होने की आशंका है। पिछले साल सरकार ने पाम ऑयल के आयात पर रोक लगा दी थी जिससे इस साल पाम ऑयल का आयात 14 फीसदी गिरा है जिसका असर भाव पर साफ दिख रहा है।
खाने के तेलों के बढ़ते भाव पर नजर डालें तो 2019 में इसी समय मूंगफली के तेल का भाव 140 प्रति किलो के आसपास था जो अभी 162 रुपए के आसपास है। 2019 में इसी समय सरसों के तेल का भाव 120 प्रति किलो के आसपास था जो अभी 160 रुपए के आसपास है। 2019 में इसी समय सोयाबीन के तेल का भाव 85 प्रति किलो के आसपास था जो अभी 103 रुपए के आसपास है। 2019 में इसी समय सनफ्लावर के तेल का भाव 89 प्रति किलो के आसपास था जो अभी 130 रुपए के आसपास है। 2019 में इसी समय पाम ऑयल का भाव 67 रुपए प्रति किलो के आसपास था जो अभी 98 रुपए के आसपास है।
पिछले साल की तुलना में सोयाबीन ऑयल में करीब 18 रुपए की तेजी है। जबकि सनफ्लावर तेल के दाम 40 रुपए और पाम ऑयल के दाम 31 रुपए प्रति किलो तक बढ़े हैं। रही सही कसर FSSIA ने सरसों के तेल की ब्लेंडिंग पर रोक लगाकर कर दी। ब्लेंडिंग पर 1 अक्टूबर से रोक के बाद सरसों तेल के दाम काफी तेजी से बढ़े हैं। एक हफ्ते में कीमतों में 10 से 15 रुपए का इजाफा देखने को मिला है।