Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 Dec, 2019 06:03 PM
सुस्त विकास दर और बेरोजगारी में इजाफे की वजह से उपभोक्ताओं का बाजार पर भरोसा पांच साल में सबसे कम हो गया है। रिजर्व बैंक की सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि नवंबर में उपभोक्ता भरोसा सूचकांक 85.7 अंक पर पहुंच गया
नई दिल्लीः सुस्त विकास दर और बेरोजगारी में इजाफे की वजह से उपभोक्ताओं का बाजार पर भरोसा पांच साल में सबसे कम हो गया है। रिजर्व बैंक की सर्वे रिपोर्ट में बताया गया है कि नवंबर में उपभोक्ता भरोसा सूचकांक 85.7 अंक पर पहुंच गया, जो सितंबर में 89.4 पर था। यह 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद सबसे निचला स्तर है।
आरबीआई का यह सूचकांक उपभोक्ताओं के बाजार और सरकार पर भरोसे की मजबूती व कमजोरी को दर्शाता है। सूचकांक के 100 से ऊपर रहने पर आशावादी और नीचे आने पर निराशावादी रुख का पता चलता है। सर्वे के अनुसार, भविष्य को लेकर भी उपभोक्ताओं के भरोसे में कमी आई है और यह पिछले साल के 118 अंक से गिरकर 114.5 पर आ गया है।
भरोसे में यह कमी विकास दर में लगातार आ रही गिरावट और बेरोजगारी की बढ़ती दर की वजह से आई है। शैडो बैंकिंग सेक्टर मानी जानी वाली एनबीएफसी पर संकट बढ़ने की वजह से उपभोक्ता खपत पर काफी प्रभाव पड़ा है, जो देश की जीडीपी में 60 फीसदी भूमिका निभाता है। आरबीआई का यह सर्वे 13 बड़े शहरों और करीब 5,334 घरों पर आधारित है। सर्वे में शामिल उपभोक्ताओं से मौजूदा आर्थिक परिस्थितियों, रोजगार सृजन, महंगाई और आय व खर्च के मुद्दों पर उनकी धारणा और अपेक्षा जानी गई है।
महंगाई बढ़ने का सता रहा डर
सर्वे के अनुसार, उपभोक्ताओं को भविष्य में महंगाई बढ़ने का संकट दिख रहा है। उनका मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में वस्तुओं के दाम लगातार बढ़ते रहे हैं और यह सिलसिला आने वाले समय में भी जारी रह सकता है, जिससे उपभोक्ता आधारित खुदरा महंगाई दर भी बढ़ेगी। सर्वे रिपोर्ट का कहना है कि उपभोक्ताओं का भरोसा चालू वित्त वर्ष की शुरुआत यानी मार्च से ही कमजोर होता गया है।