साल 2018 में उपभोक्ताओं को मिली राहत लेकिन किसान रहे परेशान

Edited By Isha,Updated: 30 Dec, 2018 04:59 PM

consumers get relief in 2018 but farmers are worried

इस साल मुद्रास्फीति नीति-निर्धारकों के लिए नयी तरह का सिर-दर्द लेकर आई। एक तरफ जहां महंगाई दर के तय लक्ष्य से नीचे रहने से आम उपभोक्ता खुश रहे तो दूसरी ओर विपक्ष ने कृषि उत्पादों के दाम में उल्लेखनीय गिरावट से किसान को हो रही दिक्कतों को लेकर सरकार...

बिजनेस डेस्कः इस साल मुद्रास्फीति नीति-निर्धारकों के लिए नयी तरह का सिर-दर्द लेकर आई। एक तरफ जहां महंगाई दर के तय लक्ष्य से नीचे रहने से आम उपभोक्ता खुश रहे तो दूसरी ओर विपक्ष ने कृषि उत्पादों के दाम में उल्लेखनीय गिरावट से किसान को हो रही दिक्कतों को लेकर सरकार को घेरा। आंकड़े दर्शाते हैं कि लगभग पूरे साल खुदरा ए‍वं थोक मुद्रास्फीति लक्षित सीमा के भीतर रही लेकिन पेट्रोल एवं डीजल के आसमान छूते दाम ने लोगों को जरूर परेशान किया। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) के तहत मापी जानी वाली खुदरा मुद्रास्फीति अधिकांश समय में पांच प्रतिशत के नीचे रही। आरबीआई ने दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ मुद्रास्फीति के लिये चार प्रतिशत का लक्ष्य तय किया है। केवल जनवरी में ही खुदरा महंगाई दर पांच प्रतिशत के आंकड़े के पार गई।

थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) नवंबर महीने में पिछले तीन महीने के न्यूनतम स्तर 4.64 प्रतिशत पर रहा है। इस साल के दौरान यह कम से कम 2.74 फीसद और अधिकतम 5.68 फीसदी के बीच रही वहीं नवंबर महीने में खुदरा मुद्रास्फीति 2.33 प्रतिशत के आंकड़े तक पहुंच गयी, जो इस साल का न्यूनतम आंकड़ा है। ऐसा खाद्य पदार्थों एवं कुछ कृषि उत्पादों के मूल्य में कमी के कारण हुआ। यह उपभोक्ताओं के साथ-साथ सरकार और आरबीआई के लिए अच्छी खबर है हालांकि, यह स्थिति इसके साथ ही चिंता भी उत्पन्न करती है क्योंकि कृषि उत्पादों के दाम गिरने से किसानों के समक्ष नई तरह के संकट पैदा हो गए हैं। यह संकट उन किसानों के लिए और अधिक बढ़ गया है, जिन्होंने कृषि ऋण लेकर खेती की है। ऐसा इसलिए देश के विभिन्न हिस्सों से खबर मिल रही है कि किसानों को प्याज सहित विभिन्न सब्जियों की लागत तक वसूल नहीं हो पा रही है।

इस साल अपने उत्पादों के बेहतर दाम और कृषि क्षेत्र के समर्थन के लिए प्रभावी कदम उठाने की मांग को लेकर किसान कई बार आंदोलन कर चुके हैं हाल में हुए विधानसभा चुनावों में किसानों के मुद्दे छाए रहे और 2019 के आम चुनावों में इस मुद्दे पर और अधिक जोर हो सकता है। अतीत में ऊंची महंगाई दर पूर्व की सरकारों के लिए बहुत बड़ा सिर-दर्द रह चुकी है। एसबीआई समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा कि सरकार को किसी तरह के मूल्य या आय समर्थन योजना के जरिए ग्रामीण क्षेत्र को मदद करनी चाहिए। घोष ने कहा, च्च्खाद्य पदार्थों के दाम में कमी से मुद्रास्फीति में कमी आयी है लेकिन तेल में हाल में आई नरमी आने वाले समय में आंकड़ों को कम रखने में मददगार साबित होगी। एक तरफ जहां खाद्य मुद्रास्फीति में कमी उपभोक्ताओं के लिए अच्छी खबर है, वहीं यह किसानों के लिए अच्छी नहीं है।

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