चीन में कंटेनर का किराया 6 गुना बढ़ा, यूरोपीय आयातक परेशान

Edited By Yaspal,Updated: 23 Jan, 2021 09:14 PM

container fares increased 6 times in china european importers upset

चीन से यूरोपीय देशों को होने वाले निर्यात के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले कंटेनर का किराया पिछले दो महीने में चार गुना बढ़ गया है। किराए में वृद्धि के कारण यूरोप के आयातक भी परेशान हैं। नवंबर में एशिया से उत्तरी यूरोप में भेजे जाने वाले 40 फुट के...

 बिजनेस डेस्कः चीन से यूरोपीय देशों को होने वाले निर्यात के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले कंटेनर का किराया पिछले दो महीने में चार गुना बढ़ गया है। किराए में वृद्धि के कारण यूरोप के आयातक भी परेशान हैं। नवंबर में एशिया से उत्तरी यूरोप में भेजे जाने वाले 40 फुट के कंटेनर का किराया 1600 डॉलर था जो बढ़कर 10000 डॉलर हो चुका है।

दरअसल, कंटेनर के किराए ये जबरदस्त वृद्धि कंटेनरों के कमी के कारण आई है और निर्यातकों में कंटेनर के लिए मारामारी के चलते मांग और आपूर्ति में भारी अंतर आ गया है। इस कारण निर्यातक कंटेनरों के लिए मुंह मांगी कीमत अदा कर रहे हैं।

पिछले साल कोरोना काल के दौरान जब पूरी दुनिया में कारोबार ठप हुआ था शिपिंग कंपनियों द्वारा हजारों की संख्या में खाली कंटेनर अमेरिका और यूरोपीय देशों में छोड़ दिए गए थे। लेकिन जैसे ही स्थितियां संभलने शुरू हुईं तो यूरोपीय देशों में एशिया में बने सामान की मांग अब बढ़ने लगी है लेकिन निर्यातकों के पास अपना सामान भेजने के लिए कंटेनर नहीं हैं।

हाउस ऑफ डॉट कॉम की फाउंडर हेलन व्हाइट चीन से लाइटों का आयात करती हैं। उनका कहना है कि कंटेनर के किराए इतने ज्यादा हो गए हैं कि आयात करने पर बेचे जाने वाला सामान पर अब घाटा होने लगा है।

हालांकि फरवरी महीने में चीनी नए साल के लिए होने वाली छुट्टियों के दौरान इस समस्या से निजात मिलने की संभावना थी लेकिन चीन में कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव के चलते अस्थिरता की स्थिति हो गई है।

कंटेनर्स की कमी के कारण यूरोपीय देशों के आयातक ही परेशान नहीं हैं बल्कि इन देशों को निर्यात करने वाले चीनी कंपनियां और लॉजिस्टिक कंपनियां भी खासी परेशान हैं। हॉगकॉग के जॉनी सेंग पिछले 40 साल से यूरोपीय देशों को कपड़े का निर्यात करते हैं और उनका काम धंधा ठप होकर रह गया है। जॉनी का कहना है कि इतने ज्यादा किराए के साथ काम करना मुश्किल है। यूके में भेजे जाने वाले जिस कंटेनर के लिए वह 2500 डॉलर अदा करते थे वह अब 14000 डॉलर में मिल रहा है और इसके लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। जिस कारण कंसाइनमेंट में देरी हो रही है।

 

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