Edited By PTI News Agency,Updated: 05 Apr, 2020 06:14 PM
जाने-माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज का कहना है कि भारत की वृहद आर्थिक स्थिति कमजोर पड़ रही है। यदि लॉकडाउन (सार्वजनिक पाबंदी) जारी रहता है तो इसके और बुरे होने के आसार हैं। द्रेज ने रविवार को कहा कि देशव्यापी सार्वजनिक पाबंदी के चलते देश के कई...
नयी दिल्ली: जाने-माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज का कहना है कि भारत की वृहद आर्थिक स्थिति कमजोर पड़ रही है। यदि लॉकडाउन (सार्वजनिक पाबंदी) जारी रहता है तो इसके और बुरे होने के आसार हैं। द्रेज ने रविवार को कहा कि देशव्यापी सार्वजनिक पाबंदी के चलते देश के कई हिस्सों में सामाजिक अशांति देखी जा रही है।
कोरोना वायरस के सामुदायिक फैलाव को रोकने के लिए सरकार ने 14 अप्रैल तक के लिए देश में सार्वजनिक पाबंदी लगायी है। बेल्जियम में जन्मे भारतीय मूल के अर्थशास्त्री द्रेज ने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा, ‘(आर्थिक) स्थिति नाजुक है और अभी यह ज्यादा बुरी होने हो सकती है यदि स्थानीय या देशव्यापी सार्वजनिक पाबंदी जारी रहती है। यह सार्वजनिक पाबंदी के असर पर निर्भर करेगा और इसकी संभावना दिख भी रही है।’ उन्होंने कहा अन्यथा दुनियाभर में आने वाली मंदी भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी।
कोरोना वायरस संकट के नौकरियों और अर्थव्यवस्था पर प्रभाव के बारे में द्रेज ने कहा कि कुछ क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित होंगे लेकिन चिकित्सा देखभाल जैसे क्षेत्र संकट की अवधि में भी वृद्धि कर सकते हैं। उन्होंने कहा लेकिन यह स्थिति ऐसी है जैसे साइकिल में पंक्चर हो गया हो। साइकिल पंक्चर होने पर आप एक पहिए के साथ आगे नहीं बढ़ सकते। इसलिए (कोरोना वायरस) संकट का असर अर्थव्यवस्था के अधिकांश हिस्सों तक फैलेगा।
बैंकिंग व्यवस्था भी इससे अछूती नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि जैसे ही लॉकडाउन खुलेगा तो जो प्रवासी मजदूर अभी फंसे रह गए हैं वे अपने घरों को लौटना शुरू करेंगे और संभव है कि वे वापस लौटने में संकोच करें। लेकिन उनके पास घर पर भी कोई विशेष काम नहीं होगा सिवाय उनके जिनके पास गांव में कुछ खेती की जमीन है। द्रेज ने कहा ऐसे में उन क्षेत्रों को कामगारों की कमी होगी जो प्रवासी मजदूरों पर निर्भर करते हैं।