Edited By vasudha,Updated: 03 Feb, 2020 10:33 AM
भारत दुनिया का सबसे बड़ा कॉटन उत्पादक देश है। यहां चालू कपास सीजन साल 2019-20 के दौरान कपास उत्पादन 390 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) होने के कयास लगाए जा रहे हैं। बाजार जानकारों के अनुसार 31 जनवरी तक देश में लगभग 210 लाख गांठों की आवक पहुंच गई...
बिजनेस डेस्क : भारत दुनिया का सबसे बड़ा कॉटन उत्पादक देश है। यहां चालू कपास सीजन साल 2019-20 के दौरान कपास उत्पादन 390 लाख गांठ (प्रति गांठ 170 किलो) होने के कयास लगाए जा रहे हैं। बाजार जानकारों के अनुसार 31 जनवरी तक देश में लगभग 210 लाख गांठों की आवक पहुंच गई है। जो पिछले साल की तुलना 60 लाख गांठ आवक अधिक है। देश के विभिन्न राज्यों में आई कुल 210 लाख गांठों में भारतीय कपास निगम (सी.सी.आई.) ने लगभग 51,35,399 गांठों की कपास समर्थन मूल्य पर खरीदी है, जबकि फैडरेशन ने 5.70 लाख गांठ कपास खरीदी है।
सरकारी एजैंसियों ने कुल लगभग 57 लाख गांठ कपास खरीदी है। सूत्रों की मानें तो सी.सी.आई. 10-12 लाख गांठ और कपास खरीद सकती है। इस बीच एक बड़े रूई कारोबारी ने बताया कि शनिवार तक उत्तरी जोन के कपास उत्पादक राज्यों की घरेलू मंडियों के 49,71,500 गांठों का व्हाइट गोल्ड पहुंचा है जिसमें पंजाब में 6,76,000 गांठ, हरियाणा 18,74,000 गांठ, श्री गंगानगर-हनुमानगढ़ सर्कल 13,72,000 गांठ व लोअर राजस्थान भीलवाड़ा क्षेत्र समेत 10,49,500 गांठों का व्हाइट गोल्ड शामिल है। सूत्रों का कहना है कि सी.सी.आई. को अपने पिछले साल के 9.50 लाख गांठों के स्टाक से सबक लेना चाहिए कि उन्हें स्टाक से कितनी बड़ी हानि हुई है और सी.सी.आई. ने इस साल अभी तक 51.35 लाख गांठों से अधिक और स्टाक कर लिया है लेकिन अभी तक सी.सी.आई. ने एक गांठ भी सेल नहीं की है। बाजार जानकारों के अनुसार आजकल कपास बाजार में रूई की मांग धीमी नजर आ रही है जिससे एक हफ्ते में रूई भाव में 40-50 रुपए मन गिरावट बनी है। आगे भी बाजार गिरावट में रहने के कयास लगाए जा रहे हैं जिसका कारण चीन में कोरोना वायरस महामारी फैलना माना जा रहा है।
भारत से 20 लाख गांठ निर्यात
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी.ए.आई.) राष्ट्रीय अध्यक्ष अतुल भाई गणत्रा के अनुसार चालू कॉटन सीजन साल 2019-20 जो एक अक्तूबर से शुरू हुआ है। अब तक लगभग 20 लाख गांठ विभिन्न देशों को निर्यात हो चुकी हैं, जिसमें 12 लाख गांठ बंगला देश, 4 लाख गांठ चीन तथा 4 लाख गांठ वियतनाम व अन्य देशों को निर्यात हुई हैं। गणत्रा का मानना है कि फरवरी माह के दौरान लगभग 10 लाख गांठ विभिन्न देशों को होने की सम्भावना है। यदि चीन कोरोना वायरस पर काबू पा लेता है तो 5 लाख गांठ चीन को निर्यात हो सकती हैं।
कॉटन सीड बिनौला औंधे मुंह गिरा
कॉटन सीड (बिनौला) की कीमतें लगभग 15 दिनों के भीतर औंधे मुंह गिर चुकी हैं। 2750 रुपए क्विंटल कॉटन सीड बिनौला की कीमतें 2470 रुपए क्विंटल रह गए हैं। स्टाकिस्टों ने अब तेजी से मुंह फेर लिया है। मंदी की चाल बनने से इसका असर कपास (नरमे) की कीमतों पर रहा है। कपास 200-300 रुपए क्विंटल भाव गिरे हैं।
कपास मिलें डिस्पैरिटी में घिरीं
हाजिर रूई के भाव और कपास की कीमतों को देखते हुए कपास जिनर मिलें डिस्पैरिटी में घिरी हुई हैं। जिनरों का कहना है कि उन्हें प्रति 100 गांठ कम से कम 50,000 रुपए सीधा नुक्सान है। मिलें चालू रखना उनकी मजबूरी बन चुकी हैं। रूई भाव कम है, वहीं कॉटन बिनौला बुरी तरह डूब चुका है। यदि कपास मिलों की डिस्पैरिटी इस प्रकार ही चलती रही तो मिलें अधिक दिनों तक चालू नहीं रह सकतीं।