कॉरपोरेट कर में कटौती, निवेश के लिए और अच्छी जगह बना भारतः RBI गवर्नर

Edited By Supreet Kaur,Updated: 24 Sep, 2019 03:00 PM

corporate tax reduction makes india a better place for investment

कॉरपोरेट कर में कमी करने के हाल के निर्णय को सरकार का एक साहसिक कदम बताते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को कहा कि इससे भारत विदेशी निवेश के लिए ‘बहुत आकर्षक स्थल '' बन गया है। कर में पिछले 28 वर्ष ...

नई दिल्लीः कॉरपोरेट कर में कमी करने के हाल के निर्णय को सरकार का एक साहसिक कदम बताते हुए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मंगलवार को कहा कि इससे भारत विदेशी निवेश के लिए ‘बहुत आकर्षक स्थल ' बन गया है। कर में पिछले 28 वर्ष की सबसे बड़ी कटौती करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कॉरपोरेट कर की प्रभावी दर में करीब करीब 10 फीसदी की कटौती की घोषणा की। यह निर्णय अर्थव्यवस्था को नरमी के वर्तमान दौर से उबारने के लिए एक बाद एक कई प्रोत्साहन पैकेज की घोषणाओं के बीच किया गया है।

वित्त मंत्री के साथ की मुलाकात 
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर पांच फीसदी रही। यह छह साल की न्यूतनम तिमाही वृद्धि है। कॉरपोरेट कर कटौती से सरकारी खजाने पर करीब डेढ़ लाख करोड़ रुपये का असर पड़ने का अनुमान है। राजधानी में वित्त मंत्री सीतारमण के साथ मुलाकात के बाद गवर्नर दास ने कहा, ‘यह बहुत साहसिक और सकारात्मक कदम है। जहां तक अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का सवाल है तो भारत में कॉरपोरेट कर की दरें आसियान और एशिया के अन्य हिस्सों के उभरते बाजारों के मुकाबले बहुत प्रतिस्पर्धापूर्ण हो गयी हैं। मेरी राय में आज भारत प्रतिस्पर्धा के बीच बहुत मजबूत स्थिति में पहुंच गया है। इससे और अधिक निवेश आकर्षित होगा।'

कंपनियों की बैलेंसशीट सुधरेगी
घरेलू निवेश के बारे में उन्होंने कहा कि कंपनियों के पास अब पूंजीगत निवेश बढ़ाने के लिए पहले से अधिक पैसा बचेगा। बचत होने पर कुछ कंपनियां निवेश बढ़ाएंगी और कुछ अपना कर्ज घटा सकती हैं। इससे उनकी ‘बैलेंसशीट' सुधरेगी। दास ने कहा कि वित्त मंत्री के साथ उनकी यह मुलाकात मौद्रिक नीति समीक्षा से पहले की एक परंपरागत भेंट थी। उन्होंने कहा , ‘इस तरह की मुलाकात की परंपरा बहुत पुरानी है। इसमें देश के वृहद आर्थिक परिदृश्य पर चर्चा होती है।'

1 अक्टूबर को RBI की समीक्षा बैठक
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की तीन दिन की समीक्षा बैठक एक अक्टूबर को शुरू हो रही है। समीक्षा की घोषणा चार अक्टूबर को होगी। उम्मीद है कि रिजर्व बैंक आर्थिक नरमी को दूर करने के लिए नीतिगत ब्याज दर में और कटौती कर सकता है। इस साल रिजर्व बैंक चार बार में अपनी नीतिगत दर ‘रेपो' कुल मिलाकर 1.10 फीसदी घटा चुका है ताकि कर्ज सस्ता कर निवेश तथा उपभोग की मांग को बढ़ाया जा सके और आर्थिक गतिविधियों में सुधार लाने में मदद मिले। दास ने कहा, ‘आज हम देख रहे हैं कि कीमतें स्थिर हैं। मुद्रास्फीति 4 फीसदी से काफी नीचे है। हमें उम्मीद है कि अगले 12 महीनों तक मुद्रास्फीति नीचे बनी रहेगी। ऐसे में, विशेष रूप से ऐसे समय जबकि वृद्धि नरम पड़ गई है, नीतिगत दर में और कमी की कुछ गुंजाइश है।' 

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