बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 437 परियोजनाओं की लागत 4.37 लाख करोड़ रुपए बढ़ी

Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Nov, 2020 01:20 PM

cost of 437 projects in infrastructure sector increased by rs 4 37 lakh crore

बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपए या इससे अधिक के खर्च वाली 437 परियोजनाओं की लागत में तय अनुमान से 4.37 लाख करोड़ रुपए से अधिक की वृद्धि हुई है। एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी मिली है। देरी और अन्य कारणों की वजह से इन परियोजनाओं की

नई दिल्लीः बुनियादी ढांचा क्षेत्र की 150 करोड़ रुपए या इससे अधिक के खर्च वाली 437 परियोजनाओं की लागत में तय अनुमान से 4.37 लाख करोड़ रुपए से अधिक की वृद्धि हुई है। एक रिपोर्ट में इसकी जानकारी मिली है। देरी और अन्य कारणों की वजह से इन परियोजनाओं की लागत बढ़ी है। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय 150 करोड़ रुपए या इससे अधिक लागत वाली बुनियादी ढांचा क्षेत्र की परियोजनाओं की निगरानी करता है। 

मंत्रालय की सितंबर-2020 की रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तरह की 1,663 परियोजनाओं में से 437 की लागत बढ़ी है, जबकि 531 परियोजनाएं देरी से चल रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया है, ''इन 1,663 परियोजनाओं के क्रियान्वयन की मूल लागत 21,09,236.41 करोड़ रुपए थी, जिसके बढ़कर 25,47,057.52 करोड़ रुपए पर पहुंच जाने का अनुमान है। इससे पता चलता है कि इन परियोजनाओं की लागत 20.76 प्रतिशत यानी 4,37,821.11 करोड़ रुपए बढ़ी है।''

रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर-2020 तक इन परियोजनाओं पर 11,61,524.97 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, जो कुल अनुमानित लागत का 45.60 प्रतिशत है। हालांकि, मंत्रालय का कहना है कि यदि परियोजनाओं के पूरा होने की हालिया समयसीमा के हिसाब से देखें, तो देरी से चल रही परियोजनाओं की संख्या कम होकर 430 पर आ जाएगी। रिपोर्ट में 924 परियोजनाओं के चालू होने के साल के बारे में जानकारी नहीं दी गई है। 

मंत्रालय ने कहा कि देरी से चल रही 531 परियोजनाओं में 122 परियोजनाएं एक महीने से 12 महीने की, 128 परियोजनाएं 13 से 24 महीने की, 160 परियोजनाएं 25 से 60 महीने की तथा 121 परियोजनाएं 61 महीने या अधिक की देरी में चल रही हैं। इन 531 परियोजनाओं की देरी का औसत 43.89 महीने है। इन परियोजनाओं की देरी के कारणों में भूमि अधिग्रहण में विलंब, पर्यावरण व वन विभाग की मंजूरियां मिलने में देरी तथा बुनियादी संरचना की कमी प्रमुख हैं। इनके अलावा परियोजना का वित्तपोषण, विस्तृत अभियांत्रिकी को मूर्त रूप दिए जाने में विलंब, परियोजनाओं की संभावनाओं में बदलाव, निविदा प्रक्रिया में देरी, ठेके देने व उपकरण मंगाने में देरी, कानूनी व अन्य दिक्कतें, अप्रत्याशित भू-परिवर्तन आदि जैसे कारक भी देरी के लिए जिम्मेदार हैं। 

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