रूई को लगा मंदी का ग्रहण, स्टॉकिस्टों को आर्थिक झटका

Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Sep, 2019 11:55 AM

cotton assumes recession stockists suffer economic blow

भारतीय रूई बाजार पर मई महीने के अंत में साढ़ेसती ऐसी चढ़ी थी कि फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा जिसने रूई कारोबारियों विशेषकर रूई स्टॉकिस्टों (तेजडिय़ों) को भारी आॢथक झटका देकर उनकी नैया ही गंगा में डूबो दी क्योंकि करीब 3 माह। हफ्ते के भीतर अब तक रूई...

जैतो: भारतीय रूई बाजार पर मई महीने के अंत में साढ़ेसती ऐसी चढ़ी थी कि फिर उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा जिसने रूई कारोबारियों विशेषकर रूई स्टॉकिस्टों (तेजडिय़ों) को भारी आॢथक झटका देकर उनकी नैया ही गंगा में डूबो दी क्योंकि करीब 3 माह। हफ्ते के भीतर अब तक रूई कीमतें औंधे मुंह गिरी पड़ी हैं। सूत्रों के अनुसार 29 मई को रूई भाव पंजाब 4915-4965 रुपए मन, हरियाणा 4910-4960 रुपए मन, हनुमानगढ़ सर्कल 4915-4920 रुपए मन व लोअर राजस्थान 47700-48700 रुपए कैंडी मार्कीट थी, जो अब लुढ़क कर पंजाब रूई 4330-4350 रुपए मन, हरियाणा 4300-4320 रुपए मन, हनुमानगढ़ सर्कल 4300-4315 रुपए मन व लोअर राजस्थान 41000-42000 रुपए कैंडी भाव रह गए हैं।

करीब 3 माह। हफ्ते के अंदर रूई भाव लगभग 600-610 रुपए प्रति मन गंगा में गोता लगा चुके हैं जबकि लगभग 6700 रुपए कैंडी भाव गिरे हैं। भारतीय रूई व्यापार जगत में रूई भाव 610 रुपए मन गिरने को बड़ी मंदी माना जाता है। रूई स्टॉकिस्टों (तेजडिय़ों) का भाव 6500-7000 रुपए पहुंचने का सपना था लेकिन रूई ने 4965 रुपए मन आसमान पर झंडा गाढ़ कर ऐसा मुंह फेरा मुड़कर ऊपर नहीं गई। सूत्रों के अनुसार दरअसल चालू कपास सीजन साल 2018-19 के दौरान देश में कपास पैदावार 40-45 लाख गांठ कम होने के अनुमान मार्कीट में आने पर अधिकतर कपास जिनरों व तेजडिय़ों ने लाखों गांठ रूई स्टाक कर लिया। धन की देवी लक्ष्मी जी के वित्त मंत्री कुबेर जी ने लाखों गांठ कम पैदावार के बावजूद रूई बाजार में जबरदस्त मंदी बना दी। रूई स्टॉकिस्टों (तेजडिय़ों) ने कई माह तो कुबेर जी के फैसले की तरह ध्यान नहीं दिया लेकिन जब रूई बाजार लगातार डूबता रहा तो तेजडिय़ों ने चौतरफा रूई बिकवाली निकाल दी। पुरानी रूई भाव 4350 रुपए मन है, जबकि नई रूई सितम्बर माह डिलीवर 4190-4200 रुपए मन व अक्तूबर डिलीवरी रूई 4151 रुपए मन भाव है। 

शनिवार भिवानी मंडी रूई 4183 रुपए मन डिलीवरी 10 से 25 सितम्बर,पिलानी 4810 रुपए डिलीवरी 10 से 15 सितम्बर, आदमपुर 4171 रुपए डिलीवर 10-11 सितम्बर,जगरावां 4171 रुपए डिलीवरी 10 से 15 सितम्बर व सूरतगढ़ 4151 रुपए मन डिलीवरी 1 से 10 अक्तूबर के हिसाब से थोड़ा-थोड़ा कारोबार दर्ज हुआ। पुरानी रूई को मंदी का ग्रहण लगने से स्टॉकिस्टों को पिटवा दिया है।

कताई मिलों को 4000 रुपए में पड़ता नहीं
बीते कई माह से भारतीय टैक्सटाइल्ज व कताई उद्योग पर मंदी का पहाड़ गिरा पड़ा है लेकिन इस ओर पी.एम.ओ. कोई ध्यान नहीं दे रहा है जबकि देश में सर्वाधिक रोजगार यही उद्योग दे रहे हैं, जिसमें 70 प्रतिशत महिला शामिल हैं। माना जाता है कि यह उद्योग 2 प्रतिशत जी.डी.पी. में अपना सहयोग देता  है। 

यह पहली बार हुआ है जबकि मिलों का यार्न गोदामों में लगा है। यार्न का स्टॉक होने के कारण देश में कपास महंगी होना माना गया है। सूत्रों के अनुसार मिलों को 4000 रुपए मन में भी पड़ता नहीं है जबकि हाजिर पुरानी रूई भाव 4290-4350 रुपए मन व नई रूई भाव 4180-4200 रुपए मन है। 

सी.सी.आई. के पास 10 लाख गांठ
सरकारी व प्राइवेट का कार्य करने का अपना ही ढंग है। सूत्रों के अनुसार सी.सी.आई. के पास लगभग 10 लाख गांठ कई अरब रुपए का स्टॉक है। 
प्राइवेट कारोबारियों ने मंदी की चाल को देखते हुए अधिकतर रूई गांठों का स्टॉक निकाल दिया है, लेकिन सी.सी.आई. ने अभी तक कई अरब रुपए का स्टॉक हाथ में रखा हुआ है जबकि कपड़ा मंत्रालय के अनुसार देश में 1 अक्तूबर से नया कपास सीजन शुरू होगा। सूत्रों का कहना है कि नए कपास को ध्यान में रखते हुए सी.सी.आई. को रोजाना पर्याप्त मात्रा में रूई की गांठें सेल करनी चाहिए ताकि आगामी नए सीजन में कपास खरीदी जा सके।

मंदी का असर किसानों पर भी होगा
भारतीय मिलों की रूई मांग कमजोर बने रहने के कयास लगाए जा रहे हैं जिसका सीधा असर किसानों की नई कपास पर हो सकता है। कपास की तेजी-मंदी का रूई भाव का प्रभाव हमेशा रहता है। माना जाता है कि यदि भारतीय टैक्सटाइल्ज व कताई उद्योग की आर्थिक दशा में सुधार नहीं हुआ तो कपास एम.एस.जी. भाव पर भी बड़ी मुश्किल से बिकेगी। 
 

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