इकॉनमी पर संकट, लेकिन अकाउंट में पैसे डालने से नहीं सुधरेंगे हालात: सुब्रमण्यम

Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 Jun, 2020 06:15 PM

crisis on economy but putting money in account will not improve the situation

कोरोना वायरस के कारण दुनिया की मजबूत से मजबूत अर्थव्‍यवस्‍थाओं की हालात खराब हो गई है। क्रवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इस वायरस का देश की इकॉनमी पर

बिजनेस डेस्कः कोरोना वायरस के कारण दुनिया की मजबूत से मजबूत अर्थव्‍यवस्‍थाओं की हालात खराब हो गई है। क्रवार को रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि इस वायरस का देश की इकॉनमी पर असर उम्मीद से कहीं ज्यादा गंभीर है। मांग में भयानक गिरावट आई है। बेरोजगारी संकट के कारण यह आने वाले दिनों में और गहरा सकता है। इन तमाम परिस्थितियों के बीच देश के मुख्‍य आर्थिक सलाहकार केवी सुब्रमण्‍यम ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा कि लोगों के खाते में पैसे डालने से हालात नहीं सुधरने वाले हैं।

इधर राहुल गांधी और कांग्रेस पिछले कई हफ्तों से सरकार से यह मांग कर रहे हैं कि गरीबों, मजदूरों और एमएसएमई की वित्तीय मदद की जाए। उनका कहना है कि लोगों को खातों में अगले छह महीनों के लिए 7500 रुपए महीने भेजे जाएं और तत्काल 10 हजार रुपए दिए जाएं।

रोजगार पैदा करना अहम
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था के वर्तमान हालात में रोजगार पैदा कर सबसे ज्यादा जरूरी है। इसके लिए हम MSME सेक्टर पर जोर दे रहे हैं। इस सेक्टर को हरसंभव मदद दी जा रही है। बता दें कि इस सेक्टर का जीडीपी में योगदान 30 फीसदी और करीब 15 करोड़ लोगों को रोजगार मिलता है। 20 लाख करोड़ के आत्मनिर्भर भारत पैकेज में 3 लाख करोड़ का गारंटी फ्री लोन तो केवल इस सेक्टर के लिए घोषित किया गया है।

रेटिंग घटाने से घबराने की जरूरत नहीं है
हाल ही में क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज ने देश की सॉवरिन रेटिंग घटा दी है। इसका असर विदेश से आने वाले निवेशकों पर होगा। रेटिंग घटाने को लेकर केवी सुब्रमण्यम ने कहा कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है। रेटिंग एजेंसियों ने 30 से ज्यादा देशों की रेटिंग घटाई है। हम अभी कर्ज लौटाने में100 फीसदी सक्षम हैं, इसलिए कुछ समय बाद रेटिंग फिर से अपग्रेड हो जाएगी।

खपत और निवेश में लगातार आ रही है गिरावट
केवी सुब्रमण्यम ने अर्थव्यवस्था को लेकर जो एकबात कही है वह बेहद गंभीर है। उन्होंने कहा कि फरवरी के महीने से ही खपत (Consumption) और निवेश (Investment) घटना शुरू हो गया था। भारत की जीडीपी मुख्य रूप से इसी पर टिकी हुई है। पिछले आठ तिमाही से भारत की विकास दर लगातार गिरती जा रही है। जनवरी-मार्च तिमाही में यह गिरकर 3.1 फीसदी पर पहुंच गई।

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