Edited By ,Updated: 22 Feb, 2016 01:53 PM
मौजूदा वित्त वर्ष में भारत को तेल आयात पर खर्च होने वाली राशि में बड़ी बचत होगी। वर्तमान वित्त वर्ष में भारत का क्रूड ऑइल इंपोर्ट बिल 62 अरब डॉलर रह सकता है,
नई दिल्लीः मौजूदा वित्त वर्ष में भारत को तेल आयात पर खर्च होने वाली राशि में बड़ी बचत होगी। वर्तमान वित्त वर्ष में भारत का क्रूड ऑइल इंपोर्ट बिल 62 अरब डॉलर रह सकता है, जो पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले करीब आधा होगा। इसकी वजह यह है कि क्रूड की सप्लाई बढ़ने के कारण इसकी अंतरराष्ट्रीय कीमतों में लगातार गिरावट दर्ज की गई है। कच्चे तेल के दामों में कमी के चलते सरकार को 51 अरब डॉलर यानी करीब 3,49,640 करोड़ रुपए की बचत होने की उम्मीद है।
तेस मंत्रालय की पैट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल (पीपीएसी) ने अपनी मंथली कमेंट्री में कहा है कि वित्तीय वर्ष 2014-15 में क्रूड इंपोर्ट पर एक्सपेंडिचर 113 अरब डॉलर का था और मौजूदा वित्त वर्ष में उसके मुकाबले 45 फीसदी कमी आने का अनुमान है। इसमें फरवरी और मार्च के लिए इंडियन बॉस्केट क्रूड ऑयल के प्राइसेज 35 डॉलर प्रति बैरल और 67 रुपए प्रति डॉलर का एक्सचेंज रेट के हिसाब से अनुमान लगाया गया है।
जनवरी में इंडियन बॉस्केट क्रूड ऑयल के प्राइस 28.08 डॉलर प्रति बैरल रहे। पीपीएसी ने कहा है कि अगर क्रूड ऑयल की कीमतों में प्रति बैरल एक डॉलर की बढ़ौतरी होती है तो नेट इंपोर्ट बिल 0.16 अरब डॉलर बढ़ेगा। वहीं, अगर डॉलर का एक्सचेंज रेट एक रुपया बढ़ता है तो 541 करोड़ रुपए की बढ़ौतरी होगी।
देश का विदेशी मुद्रा भंडार करीब 7 फीसदी बढ़ा है, जबकि अप्रैल-दिसंबर 2015 के दौरान फ्यूल सब्सिडी घटकर 22,000 करोड़ रुपए के स्तर पर पहुंच गई है, जो कि एक साल पहले की समान अवधि में 76,000 करोड़ रुपए के स्तर पर थीं। सस्ते फ्यूल, हायर कार सेल्स और बढ़ती आर्थिक गतिविधियों ने देश में ईंधन की खपत की रफ्तार बढ़ाई है। सरकार ने भी सस्ते क्रूड ऑयल का पूरा फायदा ग्राहकों तक नहीं पहुंचाया है और लगातार फ्यूल पर ड्यूटी बढ़ाई है। मौजूदा समय में कंज्यूमर पैट्रोल की रिटेल कीमतों का करीब 60 फीसदी ड्यूटी के रूप में देता है।