चालू खाता घाटा 1.8% कम हुआ, जीडीपी का 1.1%

Edited By ,Updated: 16 Jun, 2016 07:20 PM

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देश के चालू खाते का घाटा (कैड) वित्त वर्ष 2015-16 में 1.8 प्रतिशत कम होकर 22.1 अरब डॉलर रह गया जो सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) का 1.1 प्रतिशत है।

मुंबईः देश के चालू खाते का घाटा (कैड) वित्त वर्ष 2015-16 में 1.8 प्रतिशत कम होकर 22.1 अरब डॉलर रह गया जो सकल घरेलू उत्पाद (जी.डी.पी.) का 1.1 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 2014-15 में यह 26.8 अरब डॉलर रहा था। रिजर्व बैंक द्वारा आज जारी आंकड़ों के अनुसार, 31 मार्च को समाप्त वित्त वर्ष में कच्चे तेल की कीमतों में भारी गिरावट के कारण वस्तु व्यापार घाटा 10.21 प्रतिशत कम होकर 130.1 अरब डॉलर रह गया। 2014-15 में यह 144.9 अरब डॉलर रहा था। 

 

हालांकि, सेवाओं के व्यापार में संतुलन भारत के पक्ष में रहा है। जहां 30.4 अरब डॉलर की सेवाओं का आयात किया गया वहीं सेवा निर्यात 82.9 अरब डॉलर का रहा। इस प्रकार सेवा व्यापार लाभ 69.7 अरब डॉलर रहा। वित्त वर्ष 2014-15 में यह 76.5 अरब डॉलर था।

 

आर.बी.आई. के अनुसार, पिछले वित्त वर्ष में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश 15.3 प्रतिशत बढ़कर 36 अरब डॉलर पर पहुंच गया। हालांकि, दूसरी ओर विदेशी पोर्टफोलिया निवेशकों ने पूंजी बाजार से 4.5 अरब डॉलर निकाले जबकि 2014-15 में उन्होंने 40.9 अरब डॉलर बाजार में लगाए थे। बीते वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में चालू खाते का घाटा 0.3 अरब डॉलर (जी.डी.पी. का 0.1 प्रतिशत) रहा। वित्त वर्ष 2014-15 की चौथी तिमाही में यह में यह 0.7 अरब डॉलर (जी.डी.पी. का 0.1 प्रतिशत) रहा था। 

 

 

केंद्रीय बैंक ने बताया कि चालू खाता घाटा कम होने की सबसे बड़ी वजह वस्तु व्यापार घाटे में आई कमी है। तिमाही के दौरान वस्तु व्यापार घाटा 24.8 अरब डॉलर रहा। वर्ष 2014-15 की अंतिम तिमाही में यह 31.6 अरब डॉलर रहा था। इस दौरान एफ.डी.आई. 9.3 अरब डॉलर से घटकर 8.8 अरब डॉलर रह गया। पोर्टफोलिया निवेशकों ने भी पूंजी बाजार से 1.5 अरब डॉलर निकाले जबकि जनवरी-मार्च 2015 की तिमाही में उन्होंने बाजार में 12.5 अरब डॉलर लगाए थे। तिमाही के दौरान प्रवासी भारतीयों द्वारा जमा राशि में बढ़ौतरी दर्ज की गई।  

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