मिस्त्री-टाटा विवाद: 3 दिन में डूबे 26,000 करोड़

Edited By ,Updated: 28 Oct, 2016 12:53 PM

cyrus mistry  tata group

साइरस मिस्त्री को हटाए जाने के बाद ‘टाटा ग्रुप’ का मार्कीट कैप 3 दिन में करीब 26,000 करोड़ रुपए कम हो गया है। विवाद के तीसरे दिन भी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिली।

नई दिल्लीः साइरस मिस्त्री को हटाए जाने के बाद ‘टाटा ग्रुप’ का मार्कीट कैप 3 दिन में करीब 26,000 करोड़ रुपए कम हो गया है। विवाद के तीसरे दिन भी ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिली। इन्वैस्टर्ज भी टाटा ग्रुप को लगातार 3 दिनों से झटके पर झटका दे रहे हैं। नतीजतन, टाटा ग्रुप की कई कंपनियों के शेयर लगातार तीसरे दिन गिर रहे हैं। टाटा की कंपनियों के शेयरों में गिरावट की शुरूआत सायरस मिस्त्री को बाहर का रास्ता दिखाने के बाद ही हो गई। हालांकि, गत बुधवार को अपने ई-मेल में जब उन्होंने कहा कि टाटा कंपनियों की फेयर वैल्यू का रियलिस्टिक असैसमैंट किया जाए तो ग्रुप को लगभग 1,18,000 करोड़ रुपए राइट-ऑफ  करने पड़ सकते हैं, तो इंवैस्टर्ज की मायूसी और बढ़ गई। वैसे वीरवार का दिन टाटा ग्रुप के लिए काफी भारी रहा जहां एक ओर ग्रुप की लिस्टेड कंपनियों के शेयरों में गिरावट देखने को मिली, वहीं दूसरी ओर दिल्ली हाईकोर्ट ने ताज मानसिंह होटल की ऑक्शन को हरी झंडी दे दी। इतना ही नहीं, एविएशन कंपनियों की यूनियन फैडरेशन ऑफ एयरलाइंस (एफ.आई.ए.) टाटा-एयर एशिया डील के खिलाफ  सुप्रीम कोर्ट चली गई। 

 

पहले बात ताज मानसिंह होटल की 
दिल्ली हाईकोर्ट ने ताज मानसिंह होटल की ऑक्शन के आदेश पर रोक लगाने की टाटा की अपील ठुकराते हुए नई दिल्ली म्युनिसिपल कमेटी (एन.डी.एम.सी.) को इसकी ऑक्शन की प्रमिशन दे दी। अब टाटा को होटल का लाइसैंस बरकरार रखने के लिए ऑक्शन में भाग लेना होगा। टाटा ग्रुप की सबसिडरी इंडियन होटल्स कंपनी लि. (आई.एच.सी.एल.) ने जस्टिस वी. कामेश्वर राव के 5 सितम्बर के आदेश के खिलाफ  दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की थी। इसमें जस्टिस राव ने आई.एच. सी.एल. को ताज मानसिंह का लाइसैंस रीन्यू करने से इंकार कर दिया था। दिल्ली हाईकोर्ट के गुरुवार के आदेश के बाद होटल संचालन के लिए उचित और बाजार के मुताबिक कीमत चुकाने के लिए इसकी ऑक्शन हो सकेगी। हालांकि, आई.एच.सी.एल. के पास सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का ऑप्शन बचा है।

 

एफ.आई.ए. पहुंची सुप्रीम कोर्ट
फैडरेशन ऑफ  एयरलाइंस (एफ .आई.ए.) ने टाटा-एयर एशिया को एविएशन परमिट दिए जाने के खिलाफ  सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। फैडरेशन का कहना है कि टाटा-एयर एशिया के बीच हुआ समझौता डी.जी.सी.ए. के नॉम्स और फॉरेन डायरैक्ट इनवैस्टमैंट (एफ .डी.आई.) की पॉलिसीज का उल्लंघन करता है। यह मामला 14 अप्रैल से दिल्ली हाई कोर्ट में अटका पड़ा है। इसलिए फैडरेशन ने देश की सुप्रीम कोर्ट से निर्देश देने की रिक्वैस्ट की है। बता दें कि टाटा संस बोर्ड के चेयरमैन पद से हटाए गए सायरस मिस्त्री ने गत बुधवार को बोर्ड मैंबर्स और ट्रस्टों को भेजे ई-मेल में आरोप लगाया है कि ग्रुप पर भारी-भरकम कर्ज के बावजूद उन्हें 2 एविएशन वैंचर्स में इंवैस्ट करने के लिए मजबूर किया गया। यहां तक कि उनसे 22 करोड़ रुपए के फ्रॉड को नजरअंदाज करने को कहा गया। मिस्त्री ने कहा है कि उन्होंने एविएशन सैक्टर में इन्वैस्टमैंट्स पर एतराज जताया था। मिस्त्री ने एयर एशिया से जुड़े कुछ ट्रांजैक्शंस के संबंध में नैतिकता से जुड़ी चिंताएं भी उठाई थीं। 

 

मिस्त्री का बयान सरकार की निगाह में 
नागर विमानन सचिव आर.एन. चौबे ने कहा, ‘‘सिविल एविएशन मिनिस्ट्री टाटा समूह के ‘बर्खास्त’ चेयरमैन साइरस मिस्त्री द्वारा एयर एशिया इंडिया के बारे में दी गई कथित जानकारी से जुड़े मुद्दों पर बराबर निगाह रखे हुए है और उसके संज्ञान में कार्रवाई योग्य कोई बात आती है तो उस पर कदम उठाया जाएगा। हम किसी भी हलके से किसी भी प्रकार की जानकारी का इंतजार कर रहे हैं। अभी तक हमें कुछ नहीं मिला है।’’  

 

टाटा का फटकार बम! 
* मिस्री के आरोप पूरी तरह बेबुनियाद। इन पर ग्रुप सही जवाब देगा
* मिस्त्री ने कई मुद्दों पर बोर्ड का भरोसा खोया
* तू-तू, मैं-मैं ग्रुप की गरिमा के खिलाफ 
* बोर्ड ऑफ डॉयरैक्टर्स ने कारोबार पर चिंता जाहिर की
* मिस्त्री के आरोप तथ्य आधारित नहीं
* ई-मेल को सार्वजनिक करना दुखद
‘फाइनैंशियल स्टेटमैंट्स पर हमारी ऑडिट कमेटी और कंपनियों के बोर्ड ऑफ डायरैक्टर्ज विचार करते हैं। इसलिए, कंपनी के पास खबरों पर अभी कुछ भी कहने या खुलासा करने को नहीं है’ 

 

मिस्त्री का ‘लैटर बम’!
* फैसले कार्पोरेट इतिहास का अद्वितीय फैसला 
* पूरी प्रक्रिया अवैध और गैरकानूनी 
* फैसले से पहले मुझे पक्ष नहीं रखने दिया गया
* 4 साल में काम करने की स्वतंत्रता नहीं मिली

 

 

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