Edited By ,Updated: 02 Nov, 2016 12:22 PM
सायरस मिस्त्री के हटाए जाने के बाद से जारी टाटा समूह की जंग और तेज हो गई है।
नई दिल्लीः सायरस मिस्त्री के हटाए जाने के बाद से जारी टाटा समूह की जंग और तेज हो गई है। लगातार मिस्त्री के हमले झेल रहे रतन टाटा ने मंगलवार को उन पर पलटवार किया है। टाटा संस के अंतरिम चेयरमैन रतन ने कहा है कि समूह के भविष्य के लिए मिस्त्री को हटाना ‘बहुत ही जरूरी’ हो गया था।
इससे पूर्व मिस्त्री ने अपने हमले तेज करते हुए आरोप लगाया कि डोकोमो से जुड़े विवाद को लेकर लिए गए हर फैसले में रतन भी शामिल थे। रतन और सायरस के बीच झगड़े की जड़ में जापान की एनटीटी डोकोमो के साथ समूह का कानूनी विवाद है। समूह का आरोप है कि मिस्त्री इस मामले को ठीक से संभाल नहीं पाए।
रतन ने भी कहा कि सायरस ने जिस तरह से इस विवाद को निपटाने की कोशिश की वह टाटा समूह की संस्कृति और मूल्यों के हिसाब से बिल्कुल नहीं था। इस कानूनी लड़ाई ने समूह पर 7,800 करोड़ की चपत लगाई है। लंदन की अदालत ने हाल ही में आदेश दिया है कि टाटा संस यह हर्जाना डोकोमो को अदा करे।
डोकोमो केस में 'चूक' के आरोपों पर मिस्त्री ने दी सफाई
रतन टाटा ने 100 अरब डॉलर से अधिक का कारोबार करने वाले अपने समूह के कर्मचारियों को लिखे एक संदेश में कहा है,‘टाटा संस के नेतृत्व में परिवर्तन का फैसला सुविचारित था और इसे निदेशक मंडल के सदस्यों ने पूरी गंभीरता से यह फैसला किया था। यह कठिन फैसला सावधानीपूर्वक और सोच-विचार के साथ चर्चा के बाद लिया गया और निदेशक मंडल मानता है कि टाटा समूह की भविष्य की सफलता के लिए यह निर्णय अत्यंत आवश्यक था।’